आम आदमी पार्टी के झगड़े में एक नया मोड़ आ गया है। इस मोड़ पर अब अरविन्द केजरीवाल पर सवाल उठ रहा है कि क्या वे कुमार विश्वास को एक रणनीति के तहत अकेला कर रहे हैं या कि वे उनका भी धीरे-धीरे पत्ता साफ कर देंगे वैसे ही जैसे उन्होंने योगेंद्र यादव और अन्य का किया?
दरअसल, ताजा मामले में उन्होंने 4 मई को गठित हुई विधानसभा की विभिन्न कमिटियों में विश्वास समर्थकों के विधायकों की छुट्टी कर दी है और अमातुल्ला खान को कमेटी में लिए है। सवाल यह भी है कि इस झगड़े में अरविंद केजरीवाल किसके साथ हैं- अमानतुल्लाह या कुमार विश्वास?
हालांकि अमानतुल्लाह पर कार्रवाई कर केजरीवाल ने कुमार विश्वास को तो मना लिया, लेकिन लगता है कि विश्वास समर्थक विधायक केजरीवाल के निशाने पर आ गए हैं। ये बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि कुमार विश्वास का जिन भी विधायक ने समर्थन किया था उन्हें कमेटी में नहीं लिया गया जबकि विवाद के बावजूद अमानतुल्लाह खान को आधा दर्जन कमिटियों में जगह दी गई है। एक में उन्हें चेयरमैन के पद पर भी बरकरार रखा गया है।
मीडिया सूत्रों के अनुसार जिन विधायकों पर गाज गिरी है उनमें अलका लांबा, सोमनाथ भारती, भावना गौड़, आदर्श शास्त्री और मनोज कुमार शामिल हैं। इन्हें एक छोड़ कर ज्यादातर कमेटी से से निकाल दिया गया है।
गौरतलब है कि इन विधायकों में कुमार विश्वास को आप संयोजक बनाने की मांग की थी, वहीं अन्य विधायकों ने विश्वास को बीजेपी का एजेंट बताने वाले विधायक अमानतुल्लाह खान पर कार्रवाई की मांग भी उठाई थी। हालांकि, विधानसभा की कमेटियों में सदस्यों को विधानसभा अध्यक्ष मनोनीत करते हैं। लेकिन तुरंत बनी नई कमेटियों में जिस तरह विश्वास के साथ खड़े होने वाले विधायकों को बाहर रखा गया उससे सवाल तो उठता ही है।