नई दिल्ली। 950 करोड रुपए के चारा घोटाला मामले में आरजेडी प्रमुख लालू यादव और अन्य पर से आपराधिक साजिश और अन्य धाराएं हटाए जाने के खिलाफ सीबीआई की दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में लालू यादव पर इस मामले में आपराधिक साजिश का केस चलाने की इजाजत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट अभी ये भी तय करेगा कि चारा घोटाले से जुडे अलग अलग मामले चलते रहेंगे या नहीं।
उच्चतम न्यायालय ने झारखंड उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द किया जिसमें चारा घोटाला मामलों में से एक में दोष सिद्धि के बाद लालू और अन्य के खिलाफ मुकदमों पर रोक लगा दी गई थी। अब कई करोड़ रुपए के चारा घोटाला मामलों में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को मुकदमे का सामना करना होगा।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने निचली अदालत को 68 वर्षीय यादव तथा अन्य के खिलाफ कार्रवाई नौ माह के भीतर पूरी करने के निर्देश दिए। पीठ ने कहा, 'हमारा मानना है कि प्रत्येक अपराध के लिए पृथक सुनवाई होनी चाहिए।' चारा घोटाला तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के कार्यकाल में पशुपालन विभाग द्वारा विभिन्न जिलों से फर्जी तरीके से 900 करोड़ रूपए की निकासी से जुड़ा है।
बिहार के पूर्व मुख्समंत्री जगन्नाथ मिश्रा एंव राज्य के पूर्व सचिव संजाल चक्रवर्ती भी इस मामले में आरोपी हैं। उच्चतम न्यायालय ने 2014 के उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए, जिसमें यादव को एक मामले में दोषी ठहराते हुए शेष मामलों में उनके खिलाफ सुनवाई पर रोक लगा दी थी, कहा कि उच्च न्यायालय को अपने निष्कर्ष में दृढ़ रहना चाहिए और एक ही मामले में आरोपियों के अगल अलग गुटों के लिए अलग अलग आदेश नहीं सुनाना चाहिए।
दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट ने आपराधिक साजिश के सभी आरोप खारिज कर दिए थे जिसके खिलाफ सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अगले नौ महीने में इस मामले की सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया था। झारखंड हाईकोर्ट ने लालू के खिलाफ आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं को खारिज कर दिया था कि एक ही मामले में अलग अलग केस नहीं चल सकते। वहीं सीबीआई ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा था कि हर मामले में लालू यादव की भूमिका अलग-अलग है, इसलिए हर मामले में अलग से साजिश का मुकदमा चलना चाहिए।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि लालू के खिलाफ आईपीसी की धारा 201 और धारा 511 के तहत मामला चलेगा, लेकिन षड्यंत्र का आरोप रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान लालू की तरफ से राम जेठमलानी ने कहा था कि सभी मामलों में आरोप एक जैसे हैं इसलिए मामले को लेकर दर्ज किए गए अलग-अलग केसों को सुनने की जरूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने 20 अप्रैल को सुनवाई पूरी कर ली थी। चारा घोटाला में लालू यादव पर 6 अलग-अलग मामले लंबित हैं और इनमें से एक में उन्हें 5 साल की सजा हो चुकी है।
गौरतलब है कि चारा घोटाले में मिली जेल की सजा को लालू यादव ने चुनौती दी है। चारा घोटाला 1990 के बीच में बिहार के पशुपालन विभाग से जुड़ा हुआ मामला है। इस दौरान लालू बिहार के मुख्यमंत्री थे। चारा घोटाले का खुलासा साल 1996 में सामने आया था। मामला बिहार पशुपालन विभाग में से करोड़ों रुपए के घोटाले से जुड़ा है।
मामला 90 के दशक की शुरुआत में बिहार के चाईबासा (अब झारखंड में) सरकारी खजाने से फर्जी बिल लगाकर 37.7 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी से जुड़ा हुआ है। चारा घोटाले में कुल 950 करोड़ रुपए के गबन किए जाने का आरोप है। चारा घोटाला मामले में कुल 56 आरोपियों के नाम शामिल हैं, जिनमें राजनेता, अफसर और चारा सप्लायर तक जुड़े हुए हैं। इस घोटाले से जुड़े 7 आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि 2 सरकारी गवाह बन चुके हैं तथा 1 ने अपना गुनाह कबूल कर लिया और एक आरोपी को कोर्ट से बरी किया जा चुका है। (एजेंसी)