नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पृथ्वी की निगरानी करने वाले उपग्रह ईओएस-03 को गुरुवार सुबह श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित किया गया। हालांकि क्रायोजेनिक इंजन में तकनीकी खराबी से लांचिंग मिशन फेल हो गया।
प्रक्षेपण के बाद सैटेलाइट ने 2 चरण सफलतापूर्वक पूरे किए। लांचिंग के 18 मिनट के बाद क्रायोजेनिक इंजन में आई तकनीकी गड़बड़ी की वजह से इंजन से आंकड़े मिलने बंद हो गए। इसके कुछ देर बाद इसरो ने मिशन के पूरा नहीं होने की घोषणा की।
इसे जीएसएलवी -एफ10 द्वारा जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में स्थापित किया जाना था। इसके बाद उपग्रह अपने ऑन-बोर्ड प्रपल्शन प्रणाली का इस्तेमाल करके भूस्थिर कक्षा में पहुंच जाता।
ईओएस-03 की सफलता से क्या होता फायदा : अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट (ईओएस) की मुख्य विशेषता यह है कि यह चिन्हित किए गए किसी बड़े क्षेत्र क्षेत्र की वास्तविक समय की छवियां लगातार अंतराल पर भेजता रहता। यह प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ किसी भी तरह की अल्पकालिक घटनाओं की त्वरित निगरानी में मदद करता।
यह उपग्रह कृषि, वानिकी, जल निकायों के साथ-साथ आपदा चेतावनी, चक्रवात निगरानी, बादल फटने या आंधी-तूफान की निगरानी सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग लाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी देता।