भोपाल। झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सीनियर नेता चंपई सोरेन के बागी तेवर से रांची से लेकर दिल्ली तक सियासत गर्मा गई है। चंपई सोरेन पिछले दो दिन से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए इस बात के साफ संकेत दे दिए है कि उनका अब जेएमएम के साथ ज्यादा दिनों तक नहीं है। चंपई सोरेन ने आरोप लगाया है कि उन्हें पार्टी में अपमानित किया गया है। वहीं चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की अटकलें भी तेज हो गई है। सूबे की सियासत में यह सियासी नाटक उस वक्त चल रहा है जब झारखंड में नवंबर-दिसंबर में चुनाव होने जा रहे है।
वहीं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के भाजपा के साथ जाने की अटकलों को लेकर मध्यप्रदेश में कांग्रेस के विधायक और आदिवासी संगठन जयस के संरक्षक हीरालाल अलावा ने उन्हें खुला पत्र लिखा है। अपने पत्र में कांग्रेस विधायक ने कहा कि चंपई सोरेन का बीजेपी का रूख करने का निर्णय आदिवासियों के लिए किसी से आघात से कम नहीं है, उन्होंने चंपई सोरेन से अपने फैसले पर पुर्नविचार करने का अनुरोध किया है।
कांग्रेस विधायक ने सोशल मीडिया पर पत्र को पोस्ट करते हुए लिखा कि “प्रिय चंपई सोरेन जी,मैं आपको यह पत्र लिखने के लिए प्रेरित हुआ हूँ क्योंकि मैं चाहता हूँ कि आप अपने निर्णय पर पुनः विचार करें। आपके द्वारा बीजेपी का रुख करने का निर्णय आदिवासियों के लिए किसी आघात से कम नहीं है।आपके योगदान और संघर्ष ने हमें प्रेरित किया है और हम आपको एक सच्चे नेता के रूप में देखते हैं। लेकिन आपके इस निर्णय ने हमें निराश किया है और हमें लगता है कि यह निर्णय पार्टी और राज्य के हितों के विरुद्ध हो सकता है। आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि हेमंत सोरेन जी ने आपको अपनी कुर्सी सौंपी थी वे चाहते तो अपनी पत्नी, भाभी, भाई या अन्य विधायक को सीएम पद सौंप सकते थे लेकिन उन्होंने आपको सीएम बनाना उचित समझा था क्योंकि वे जानते थे कि पार्टी की जड़ें और आदर्श आपके हृदय में कितनी गहराई से बसे हुए हैं।
अपने पत्र में उन्होंने आगे लिखा कि "आपकी वर्षों की सेवा, आपका संघर्ष, आपका योगदान—यह सब कुछ वह कारण था जिससे उन्होंने आप पर विश्वास किया। इन सब बातों को ध्यान में रखकर हेमंत सोरेन जी ने आपको सीएम बनाना था जनता ने न गठबन्धन ने आपको सीएम नहीं चुना था हेमंत जी ने चुना था…..लेकिन आज, जब आपने बीजेपी का रुख किया है, तो यह हमारे लिए और हेमंत सोरेन के लिए किसी आघात से कम नहीं। पार्टी के लोग, और वह जनता जिसे आपने वर्षों तक सेवा दी है, सोचने पर मजबूर हैं कि क्या वह आदर्श और संघर्ष केवल शब्दों तक सीमित रह गए हैं? आपसे हमारा अनुरोध है कि इस निर्णय पर पुनः विचार करें। आपने पार्टी के लिए, झारखंड के लिए, और सबसे बढ़कर, उन आदिवासी भाइयों और बहनों के लिए जिन्होंने हमेशा आप पर विश्वास किया है, उनके हितों को कभी न भूलें"।