नई दिल्ली। नोटबंदी के मुद्दे पर लोकसभा में कामकाज ठप होने को लेकर भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की कठोर टिप्पणियों से लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन बेहद आहत हुईं हैं।
श्रीमती महाजन के कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि आडवाणी द्वारा लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद अध्यक्ष के बारे में की गई टिप्पणी के संदर्भ में यह भी समझा जाना चाहिए राज्यसभा में भी कार्यवाही नहीं चल पा रही है। वहां भी सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच कार्यवाही चलाने को लेकर सहमति नहीं बन पा रही है।
सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष सदन में हमेशा चर्चा और बहस कराने की कोशिश करतीं रहीं है। गत सप्ताह भी उन्होंने विपक्षी नेताओं और संसदीय कार्य मंत्री की एक बैठक अपने चैंबर में बुलाई थी, हमेशा उनकी कोशिश रही है कि प्रश्नकाल एवं शून्यकाल में अवश्य कामकाज हो। सत्र के पहले दिन ही उन्होंने कहा था कि सदन में चर्चा हो और सरकार एवं विपक्ष इसे लेकर सहमति कायम करें।
16 नवंबर को संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ है और रोज़ाना विपक्ष मत विभाजन के प्रावधान के साथ नोटबंदी पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा कर रहा है लेकिन सरकार मत विभाजन के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वामदल कठोरता से अपनी मांग पर अड़े हैं लेकिन बीजू जनता दल, जनता दल यूनाइटेड, वाईएसआर कांग्रेस आदि पार्टियों ने नियम 193 के तहत ही चर्चा करने पर रजामंदी जताई है। सोमवार को सदन में नियम 193 के तहत चर्चा शुरू हो गई लेकिन आज प्रश्नकाल में फिर नियम 184 के तहत चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष ने फिर सदन के बीचोबीच आकर नारेबाजी की।
अध्यक्ष को सुबह करीब 35 मिनट तक नारेबाजी के बीच प्रश्नकाल चलने देने के बाद 12 बजे तक के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। बाद में 12 बजे कार्यवाही शुरू होने के बाद अध्यक्ष ने सदन के पटल पर आवश्यक कागज़ात रखवाए और शून्यकाल में सदस्यों को अपने विषय उठाने की अनुमति दी। श्रीमती महाजन ने बीच में कई बार विपक्षी सदस्यों से अपील की कि वे अपनी सीटों पर बैठें और चर्चा को आगे बढ़ाएं,लेकिन हंगामा जारी रहा। जिसके बाद करीब पौने एक बजे उन्होंने सदन की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित करने की घोषणा कर दी।
कार्यवाही स्थगित होने से आडवाणी बुरी तरह से नाराज़ हो गए और जोर-जोर से बोलने लगे। उन्होंने सदन में गतिरोध के लिए अध्यक्ष और संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार को भी निशाने पर ले लिया। उन्होंने कहा कि सदन को न तो अध्यक्ष चला रहीं हैं और न ही संसदीय कार्य मंत्री। सदन अपने से चल रहा है।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री अवाक रह गए। उन्होंने विपक्ष के रवैए का हवाला देकर आडवाणी को मनाने की कोशिश की तो वह बोले कि दोनों पक्ष जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वह जनता के बीच जाकर यह कहेंगे। बाद में संसदीय कार्य राज्य मंत्री एसएस आहलूवालिया उन्हें मनाकर सदन के बाहर ले गए। (वार्ता)