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जहां पानी, बिजली से ज्यादा जरूरी है बंकर

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। यह है तो हैरान करने वाली बात पर पूरी तरह से सच है कि पाकिस्तान से सटी 814 किमी लंबी एलओसी अर्थात लाइन ऑफ कंट्रोल से सटे गांवों में रहने वाले लाखों परिवारों को भोजन, सड़क, बिजली और पानी से अधिक जरूरत उन भूमिगत बंकरों की है जिनमें छुप कर वे उस समय अपनी जानें बचाना चाहते हैं जब पाकिस्तानी सैनिक नागरिक ठिकानों को निशाना बना गोलों की बरसात करते हैं। जानकारी के लिए 1999 में कारगिल युद्ध के बाद से तो भूमिगत बंकर सीमांत नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं।
 
दरअसल पाक सेना की ओर से गोलाबारी के बाद एलओसी के इलाकों में अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए लोग स्कूलों में बनाए गए शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इन लोगों ने अब सरकार से अपने घरों पर व्यक्तिगत बंकर बनाए जाने की मांग की है। पाकिस्तान की तरफ से की जाने वाली भारी गोलाबारी की वजह से करीब चार महीने पहले राजौरी जिले के नौशहरा सेक्टर में एलओसी पर 23 बस्तियों में रहने वाले 5,000 से ज्यादा लोगों को मजबूरन अपने घरों को छोड़ना पड़ा। हाल में राजौरी के अलग-अलग सेक्टरों में पाकिस्तान की तरफ से की गई गोलीबारी में चार नागरिकों की मौत हो गई जबकि पांच अन्य घायल हो गए।
 
स्थानीय लोगों ने कल गृहमंत्री राजनाथ सिंह से प्रत्येक घर के लिए व्यक्तिगत बंकर बनाने की मांग की थी। सिंह कल नौशहरा में सरकार द्वारा स्थापित किए गए छह शिविरों में से एक का दौरा करने पहुंचे थे। जनगढ़ निवासी प्रशोतम कुमार ने कहा था कि हमारी पहली और सबसे महत्वपूर्ण मांग यह है कि अगर हमें दोबारा एलओसी पर रहना है तो सरकार को सीमा पर बसे प्रत्येक घर में बंकर बनाना चाहिए। यह एलओसी पर रहने वाले लोगों की सबसे अहम मांग है। सीमा शरणार्थी समन्वय समिति के अध्यक्ष कुमार ने अपनी मांग से सिंह को अवगत कराया और कहा कि हमें भोजन से ज्यादा बंकर की जरूरत है।
यह हमारे और हमारे परिवार के लिए बुलेट प्रूफ जैकेट की तरह है। सीमावर्ती गांव कलसियां के सरपंच बहादुर चौधरी ने कहा कि अगर सभी निवासियों को उनके घरों पर बंकर मिलते हैं तो कोई भी एलओसी पर बसे गांवों को नहीं छोड़ेगा चाहे पाकिस्तान कितनी भारी गोलाबारी क्यों ना करे। नौशहरा के विधायक रविंदर रैना ने भी उनकी मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि भूमि का एक हिस्सा एलओसी पर रहने वाले लोगों को उपलब्ध कराया जाना चाहिए ताकि वे सुरक्षित ठिकाना बना सकें। पाक की तरफ से होने वाली गोलाबारी की वजह से नौशहरा सेक्टर के पांच स्कूलों में बने शिविरों में रहने को मजबूर सीमावर्ती निवासी चार महीने बाद भी अपने घर जाने में हिचक रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान की तरफ से बार-बार गोलाबारी होती रहती है।
 
नौशहरा सेक्टर में जीरो लाइन पर शेर मकरी गांव की निवासी सर्वेश्वरी देवी ने कहा कि ऐसे में हम कैसे वापस लौट सकते हैं जब पाक सेना हमारे घरों पर गोलाबारी कर रही है? हम दशकों से पाकिस्तान की आक्रामकता का सामना कर रहे हैं। पाकिस्तान की ओर से बिना उकसावे की गोलीबारी के लिए आसान निशाना बनने के बजाय हम अपने घरों से दूर रहने को तरजीह देते हैं। 
 
गृहमंत्री ने प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह और जम्मू कश्मीर के उप मुख्यमंत्री निर्मल सिंह के साथ कल शिविर में रहने वाले पुरुष, महिलाओं और बच्चों से बातचीत की। सिंह ने सीमा पर रहने वाले लोगों से कहा कि कुछ और वक्त रुकिए, पाकिस्तान को गोलाबारी बंद करने के लिए  मजबूर होना पड़ेगा। वे चाहे गोलाबारी आज बंद करें या कल, उन्हें गोलाबारी और संघर्ष विराम उल्लंघन रोकना पड़ेगा।
 
उन्होंने कहा कि सीमा पर रहने वाले लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए जो कुछ भी संभव होगा, मैं करुंगा। आप अनावश्यक समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि चाहे भारत-पाक सीमा या दुनिया में कोई भी सीमा हो अगर स्थानीय लोग वहां नहीं रह रहे हैं और अगर सीमावर्ती क्षेत्र खाली है तो आप कभी नहीं जान पाएंगे कि कौनसा विदेशी वहां आता है और अपनी गतिविधियां तथा सीमावर्ती भूमि का अतिक्रमण करना शुरू कर देता है। इसके बारे में कुछ भी भरोसे के साथ नहीं कहा जा सकता।
 
इस अवसर पर जिला विकास आयुक्त शाहिद इकबाल चौधरी ने बताया कि सरकार नागरिकों की सुरक्षा के लिए एलओसी पर करीब 7000 'व्यक्तिगत और समुदायिक' भूमिगत बंकर बनाने की योजना बना रही है। इस संबंध में परियोजना रिपोर्ट को मंजूरी और फंड के लिए केंद्र के पास भेजा जा चुका है। उन्होंने बताया कि सरकार ने स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के तहत सबसे अधिक प्रभावित नौशहरा जिले में 100 बंकरों का निर्माण शुरू कर दिया है और कार्य प्रगति पर है।

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