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एलओसी पर पाक गोलाबारी का डर, भीतर आतंकी हमलों का

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सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। ईद के मौके पर जम्मू कश्मीर में जबरदस्त दहशत का माहौल बना हुआ है। इस दहशत में खुफिया अधिकारियों की वे चेतावनियां भी अपना तड़का लगा रही हैं, जो कहती हैं कि आतंकी भयानक हमले कर सकते हैं। सिर्फ शहरों या कस्बों में ही नहीं बल्कि एलओसी और सीमा से सटे इलाकों में भी ईद के अवसर पर चहल-पहल इसलिए नहीं है क्योंकि पाक गोलाबारी उनका जीना हराम किए हुए है।
 
पिछले हफ्ते पुलवामा में पुलिस लाइन पर हुए आत्मघाती हमले के बाद से ही पुलिस भी इसकी पुष्टि कर चुकी है कि जैश-ए-मुहम्मद के करीब दर्जनभर आतंकी और हमलों की ताक में हैं। पुलिस इसे भयानक खतरा इसलिए निरूपित कर रही है क्योंकि अतीत में जैश-ए-मुहम्मद के खाते में जितने भी आतंकी हमले हैं वे भयानकता की हदों को पार करने वाले थे।
 
कश्मीर विधानसभा पर हुआ आत्मघाती हमला, लिट्टे की तर्ज पर पहला मानव बम हमला और कश्मीर में आज तक हुए मानव बम व फिदायीन हमलों के पीछे जैश-ए-मुहमद का ही हाथ रहा है। कश्मीर पुलिस के आईजी मुनीर खान भी कहते हैं कि स्थानीय आतंकी छुप गए हैं और जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी हमलों की फिराक में हैं।
 
नतीजा सामने है। दहशत के माहौल में जीवनयापन करने वालों को अब अलकायदा कश्मीर का मुखिया जाकिर मूसा भी डराने लगा है। उसने भी एक वीडियो और पोस्टर जारी कर हमलों के प्रति संकेत दिए हैं। हालांकि कश्मीर पुलिस समेत अन्य सुरक्षाधिकारियों का कहना था कि उनके लिए आतंकी, आतंकी ही होता है चाहे वह आईएस से जुड़ा हो या फिर अलकायदा से। पर इतना जरूर था कि धमकियां और चेतावनियां ईद के अवसर पर माहौल को दहशतजदा बनाए हुए है।
 
यही नहीं पिछले कई दिनों से एलओसी और सीमा पर कई सेक्टरों में बार-बार गोलों की बरसात कर सीमावासियों को दहशतजदा करने वाली पाक सेना की ओर से भी ईद पर गोलों की बरसात के थमने की कोई आस नहीं है। अतीत का अनुभव यही कहता है कि पाक सेना अपनी ‘ईद की खुशियों’ के लिए भारतीय नागरिक ठिकानों पर गोलों की बरसात जरूर करती आई है।
 
हालांकि भारतीय सेना का कहना था कि पाक सेना की गोलाबारी या सीजफायर के उल्लंघन का मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा, पर सीमावासियों की चिंता जानमाल को होने वाली क्षति की आशंका के प्रति था। दरअसल पिछले कई सालों से अगर कस्बों और शहरों में आतंकी ईद को खूनी बनाते रहे हैं तो सीमा व एलओसी के इलाकों में पाक सेना भारतीय नागरिकों के खून की होली खेलते रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो एक ओर कुआं और दूसरी तरफ खाई की स्थिति में फंसे हुए जम्मू कश्मीर के नागरिकों को ईद भी कोई खुशी नहीं देती है।


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