Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अब तो हो ही जाए आरपार की जंग, या फिर...

हमें फॉलो करें अब तो हो ही जाए आरपार की जंग, या फिर...
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। जम्मू के आरएस पुरा के अरनिया, रामगढ़, हीरानगर और अखनूर के परगवाल और कानाचक्क सब सेक्टर में पाकिस्तान की ओर से रिहायशी इलाकों में जारी गोलाबारी कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं कि वे अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आएगा। बेशक भारतीय जवान गोलाबारी का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं, लेकिन गोलाबारी से प्रभावित लोग भी अब स्थायी समाधान चाहते हैं। जम्मू कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्र रणभूमि बन कर रह गए हैं।
 
 
सीमावासियों को लगता है कि अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को करारा जवाब दिया जाए क्योंकि सीमांत वासियों ने अपनों को खोया है। उनके दर्द को वही समझ सकते हैं जिन्होंने अपने करीबियों को गंवाया है। गोलाबारी के कारण बच्चों की पढ़ाई से लेकर किसानों की दिनचर्या प्रभावित होकर रह गई है।
 
इस समय सीमांत क्षेत्रों में गेहूं की फसल पर भी असर पड़ रहा है। किसान अपने खेतों में जा नहीं पा रहे। बीएसएफ ने भी किसानों को बॉर्डर से लगे खेतों में जाने से मना किया है। अगर गोलाबारी और चलती है तो किसानों की रोजी रोटी पर बन आएगी। गत वर्ष भी पाकिस्तान ने दिवाली के आसपास गोलाबारी की थी, जिससे जानमाल का काफी नुकसान हुआ था।
 
 
सीमावासियों का कहना था कि सरकार को चाहिए कि वे सीमांत क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जमीन मुहैया करवाए ताकि वे गोलाबारी की स्थिति में प्रभावित क्षेत्रों से सुरक्षित इन इलाकों में चले जाएं। विडंबना यह है कि सरकार अपने वायदे पर खरा नहीं उतर पाई है जिस कारण लोगों को सुरक्षित स्थानों पर सिर ढकने की जगह तो क्या उन्हें सुरक्षा के लिए बंकर तक मुहैया नहीं करवा पाई है। अब समय आ चुका है कि सरकार को सीमांत लोगों की सुध लेनी होगी।
 
 
पाक गोलाबारी के कारण भारत पाक सीमा पर भय एवं अनिश्चितता का माहौल लौट आया है जहां पिछले 5 दिनों से पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा मोर्टार दागे जाने के बीच भारी गोलाबारी जारी है जिसके चलते प्रभावित सीमाई गांवों से विस्थापन शुरू हो गया है।
 
सांबा जिले के बेन गलाड़ क्षेत्र की नम्रता देवी ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा की जा रही गोलाबारी के कारण हम अपना घर छोड़कर जा रहे हैं। हम अस्थायी शिविरों में जा रहे हैं। पिछले 48 घंटों से तो गोलाबारी रुक नहीं रही है।
 
अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष विराम के ताजा उल्लंघनों के कारण सीमाई गांवों से विस्थापन शुरू हो गया है तथा कठुआ एवं सांबा जिलों की बस्तियों से 20000 से अधिक लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है।
 
मंगू चक इलाके के अरविन्द कुमार ने कहा कि हम पाक तोपों का निशाना बन रहे हैं तथा भय एवं आतंक के साये में जी रहे हैं। जब भी हम खेतों में जाते हैं या सड़क पर चल रहे होते हैं तो हम नहीं जानते कि कब गोली लग जाएगी। सीमा के पास स्थिति बस्तियों से बैल गाड़ियों, ट्रकों, टैम्पो एवं ट्रेक्टर ट्रालियों में लदकर परेशान लोग सुरक्षित स्थानों की ओर जा रहे हैं।
 
 
उन्हें इस बात की भी आशंका है कि बार बार संघर्ष विराम उल्लंघन से एक दशक पुरानी संधि टूट जाएगी और उनका जीवन खतरे में पड़ जाएगा। बेन गलाड़ के निवासी करतार सिंह ने कहा कि हम चाहते हैं कि 2003 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी की पहल पर शुरू हुआ संघर्ष विराम जारी रहे ताकि हम शांति में रह सकें। 
 
वर्ष 2016 एवं 2017 में संघर्ष विराम उल्लंघन में भारी बढ़ोतरी हुई जिसने हमारी जिंदगी को नर्क बना दिया है। सांबा के उपायुक्त ने कहा कि सीमाई क्षेत्रों में गोलाबारी जारी है तथा जब यह रुक जाएगी तो अधिकारी सीमा से लोगों को हटाएंगे। उन्होंने कहा कि बहरहाल, गांवों से लोगों का पलायन हो रहा है तथा उन्हें अस्थायी शिविरों में रखा जा रहा है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सीमा पर हालात बिगड़े, चार और की मौत