-रत्नदीप रणशूर
कृषि उत्पादों खासकर प्याज की गिरती कीमतों से चिंतित महाराष्ट्र के किसान सड़क पर उतर आए हैं। 5000 से ज्यादा किसानों का जत्था नासिक से मुंबई के लिए पैदल मार्च कर रहा है। इस समय यह जत्था राज्य के ठाणे जिले में पहुंच चुका है। किसानों की मांग है कि प्याज, कपास, सोयाबीन, अरहर (तुअर), हरा चना आदि फसलों के लिए उन्हें उचित कीमत मिलनी चाहिए। क्योंकि कई बार ऐसा भी होता है, जब किसान अपनी फसल की लागत भी नहीं निकाल पाता।
अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा यह मार्च पूर्व विधायक जीवा पांडू गावित के नेतृत्व में निकाला जा रहा है। बजट सत्र के दौरान यह मार्च जल्द ही मुंबई में दस्तक देगा। बताया जा रहा है कि नासिक से शुरू हुए इस मार्च को रोकने की भी कोशिशें हुई थीं, लेकिन सरकार इस मामले में नाकाम रही। इसको लेकर मंत्री दादा भुसे और किसान सभा के प्रतिनिधिमंडल के बीच 4 घंटे तक बैठक चली लेकिन बातचीत किसी नतीजे तक नहीं पहुंच पाई।
इस मार्च में बड़ी संख्या में किसानों ने भाग लिया है। अखिल भारतीय किसान सभा के केंद्रीय संयुक्त सचिव डॉ. अजीत नवले ने कहा कि यह मार्च किसानों के उचित अधिकारों के लिए आयोजित किया गया है। जब तक सभी मुद्दों को हल नहीं किया जाता है, तब तक कोई पीछे नहीं हटेगा। बताया जा रहा है कि आंदोलनकारी किसानों से मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस मुलाकात कर सकते हैं।
क्या हैं किसानों की मांगें-
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प्याज पर 600 रुपए प्रति क्विंटल की सब्सिडी मिले। प्याज निर्यात की संभावनाएं तलाश कर थोक में प्याज का निर्यात करें। 2000 रुपए के न्यूनतम मूल्य पर नेफेड के माध्यम से थोक में प्याज खरीदी की जाए।
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4 हेक्टेयर तक की वन भूमि उन्हें दी जाए जो उसका उपयोग कर रहे हैं अर्थात जिनके पास उस जमीन का कब्जा है।
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बेनामी, देवस्थान, इनाम, वक्फ बोर्ड, वारकस और अकरीपाड़ जमीन पीड़ित लोगों के नाम की जाए। शासकीय भूमि पर जो मकान हैं, वहां के मकान व मकान की भूमि वहां रहने वालों के नाम हो।
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किसानों को उनकी कृषि के लिए आवश्यक बिजली दिन में लगातार 12 घंटे उपलब्ध करवाई जाए एवं बिजली बिलों की बकाया राशि माफी जाए। करें।
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किसानों का संपूर्ण कृषि ऋण माफ किया जाए।
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साल भर बेमौसम बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से हुई फसल क्षति के लिए एनडीआरएफ से तत्काल मुआवजा दिया जाए। फसल बीमा कंपनियों की लूट पर अंकुश लगाएं और फसल बीमा धारकों को नुकसान की भरपाई के लिए कंपनियों को मजबूर करें।
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दुग्ध निरीक्षण के लिए प्रयुक्त दुग्ध मीटरों तथा तौल कांटे के नियमित निरीक्षण के लिए एक स्वतंत्र प्रणाली स्थापित की जाए। मिल्कोमीटर निरीक्षक नियुक्त करें। दूध के लिए एफआरपी और रेवेन्यू शेयरिंग पॉलिसी लागू करें। गाय के दूध का न्यूनतम मूल्य 47 रुपए और भैंस के दूध का न्यूनतम मूल्य 67 रुपए दिया जाए।
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सोयाबीन, कपास, अरहर और चने की फसल के दाम गिराने की साजिश बंद की जाए।
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हाईवे प्रभावित किसानों को केरल की तर्ज पर मुआवजा दें। उचित पुनर्वास करें। नवी मुंबई हवाई अड्डा परियोजना पीड़ितों का समुचित पुनर्वास हो।
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2005 के बाद भर्ती हुए सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना लागू करें। समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों को भी वेतनमान लागू करें। आंशिक रूप से सहायता प्राप्त विद्यालयों को शत-प्रतिशत अनुदान दें।
प्याज के दाम गिरे, अंगूर के बागों को नुकसान : लॉन्ग मार्च में मजदूर और किसान सभी हिस्सा ले रहे हैं। वहीं कई किसानों ने प्याज को सड़क पर फेंककर विरोध जताया है। इस मौके पर पूर्व विधायक जेपी गावित ने कहा कि पूरे महाराष्ट्र के किसान सदमे में हैं। कुछ दिन पहले बेमौसम बारिश हुई थी, प्याज के दाम गिरे थे। अंगूर के बागों को भी नुकसान पहुंचा है। कपास और सोयाबीन की कीमतों में भी गिरावट आई है। किसान परेशान हैं और सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है।
गावित ने कहा कि किसानों द्वारा अधिग्रहीत वन भूमि को आदिवासी किसानों के नाम कर दिया जाए और उस भूमि की 7 बार सफाई की जाए। किसानों को कर्ज मुक्त करने के साथ ही सोयाबीन और प्याज सहित सभी कृषि जिंसों की सही कीमत मिलनी चाहिए।