अयोध्या। अयोध्या में राम-जन्मभूमि पर रामलला जल्द ही विराजने वाले हैं। गर्भ गृह का निर्माण होते ही श्रीराम की मूर्ति स्थापित होनी है। कहा जा रहा है कि मंदिर में रामलला की दो मूर्तियां स्थापित की जाएंगी, एक मूर्ति सदैव गर्भ गृह में रहेगी और दूसरी उत्सव मूर्ति के रूप में स्थापित की जाएगी, जिसे विशेष उत्सवों पर पालकी यात्राओं के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। समिति की कोशिश है कि ये दोनों मूर्तियां सफेद संगमरमर की ही हों।
ट्रस्ट के सदस्य ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा कि गर्भगृह का निर्माण होने के कुछ हफ्तों बाद ही रामलला की स्थापित किया जाएगा। सफेद संगमरमर या काले शालिग्राम की प्रतिमा को लेकर सोच-विचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि अधिकतर राम मंदिरों में रामलला की सफेद संगमरमर की मूर्ति होती है, इसलिए शायद सफेद संगमरमर को ही प्राथमिकता दी जाए।
ट्रस्ट के प्रमुख सदस्य ने बताया कि रामलाला का जन्म अयोध्या में हुआ था और राम जन्मभूमि परिसर में शुरू से ही श्रीराम अपने बालस्वरुप में विराजमान हैं इसलिए रामलला की स्थायी मूर्ति भी बालस्वरूप में ही विराजमान होगी। माना जा रहा है कि अचल प्रतिमा के रूप में 3 से 5 फीट की मूर्ति स्थापित की जाएगी।
राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्यों के बयान के आधार पार ये कहा जा सकता है कि मूर्ति सफेद संगमरमर से ही बनाई जाएगी। अयोध्या में रामलला अपने बालस्वरूप में ही विराजेंगे, इस बात की पुष्टि हो चुकी है। अब बस मूर्ति को स्वरुप देना बाकी है।