उज्जैन। मध्यप्रदेश के उज्जैन में श्रावण एवं भादौ महीने में परपंरागत रूप से निकलने वाली भगवान श्री महाकालेश्वर की सोमवार को श्रावण माह में पहली सवारी बड़े ही शाही ठाट-बाट से निकली।
श्रावण मास के आज पहले सोमवार को भगवान श्री मनमहेश पालकी में सवार होकर उज्जयिनी के भ्रमण पर अपनी प्रजा को दर्शन देने के लिए निकले। इसके पहले भगवान की मंदिर के सभामंडप में विधिवत पूजन-अर्चन की गई। पालकी जैसे ही मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंची, सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी गई। पालकी को कांधा देकर नगर भ्रमण के लिए रवाना किया गया।
शिव की इस नगरी में श्रावण के प्रथम सोमवार पर दर्शन करने वालों की काफी भीड़ जमा थी। मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए दर्शनार्थी बैरिकेट्स में कतार लगे हुए खड़े थे। हालांकि जिला प्रशासन एवं मंदिर प्रबंध समिति ने देश के विभिन्न प्रांतों से यहां आने वाले लाखों दर्शनार्थियो की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं। मंदिर के आसपास नो व्हीकल जोन बनाया गया एवं सवारी मार्ग के आसपास पर बेरिकेट्स लगाए गए।
भगवान महाकालेश्वर की सवारी जैसे ही पवित्र शिप्रा नदी के रामघाट पहुंची, श्रद्धालुओं द्वारा 'हर-हर महादेव', 'जय महाकाल' से वातावरण गूंज उठा। सूर्यास्त के समय मोक्षदायिनी मां शिप्रा के पावन जल से भगवान का जलाभिषेक किया गया। सवारी मार्ग पर हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान पर पुष्पवर्षा की। भगवान श्री महाकालेश्वर का षोड्शोपचार से पूजन और जलाभिषेक मुख्य पुजारी आशीष गुरु द्वारा किया गया। पूजन के पश्चात पुरोहितों द्वारा रुद्रपाठ किया गया।
नदी के सामने स्थित दत्त अखाड़े द्वारा परंपरानुसार भगवान श्री महाकालेश्वर की पूजा और आरती की गई। इस दौरान पूरा प्रशासकीय अमला मौजूद था। प्रशासन की ओर से पूरी चाक-चौबंद व्यवस्था की गई थी ताकि श्रद्धालुओं को सुगमता से भगवान के दर्शन हो सकें। इसके पश्चात पुलिस दल द्वारा भगवान की पालकी को सलामी दी गई और पालकी अपने निर्धारित मार्ग से होते हुए श्री महाकाल मंदिर की ओर रवाना हुई। (वार्ता)