सूरत। महाराष्ट्र में दलितों का प्रदर्शन बुधवार को पड़ोसी राज्य गुजरात तक पहुंच गया। यहां समुदाय के सदस्यों ने एक रैली निकाली और भाजपा कार्यालय के बाहर नारेबाजी की।
पुणे जिला में एक जनवरी को हुई जातीय हिंसा को लेकर एक दलित संगठन ने महाराष्ट्र के अपने समुदाय के सदस्यों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए उधना इलाके में एक विरोध मार्च निकाला।
‘समस्त अंबेडकर समाज’ के बैनर तले एकत्र हुए सैकड़ों लोगों ने एक रैली निकाली। उन्होंने उधना रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन के आगे धरना दिया। इससे कुछ देर के लिए यातायात प्रभावित हुआ। भीमा -कोरेगांव लड़ाई की द्वितीय शताब्दी समारोह मनाने को लेकर हुई हिंसा के विरोध में दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था। हालांकि, बाद में महाराष्ट्र बंद वापस ले लिया गया।
प्रदर्शनकारी समूह का नेतृत्व करने वाले कुणाल सोनावाने ने बताया, 'पुणे के पास हुई हिंसा के विरोध में प्रदर्शन करने वाले अपने समुदाय के सदस्यों के प्रति एकजुटता जाहिर करने के लिए हमने एक रैली आयोजित की।'
उन्होंने बताया कि अपनी योजना के मुताबिक हमने उधना में रैली निकाली और एक ट्रेन और सड़क यातायात को बाधित कर दिया तथा भाजपा मुख्यालय के बाहर नारेबाजी की। पुलिस ने बताया कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और राज्य में कहीं से भी किसी और प्रदर्शन की खबर नहीं है।
गुजरात के प्रभारी डीजीपी प्रमोद कुमार ने कहा कि सूरत के प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकालने की पुलिस से इजाजत मांगी थी।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि करीब 150-200 लोगों ने पुलिस आयुक्त से रैली निकालने की इजाजत मांगी और उन्हें इसकी इजाजत दी गई। प्रदर्शन के दौरान कोई अप्रिय घटना दर्ज नहीं की गई।
राजकोट के धोराजी के भूखी चौकड़ी के पास अज्ञात लोगों ने यात्रियों को उतारकर सरकारी बस को आग के हवाले कर दिया। हालांकि इसकी सूचना मिलते ही दमकलकर्मी घटनास्थल पर पहुंच गए।