मुंबई। महाराष्ट्र में वर्षा जनित घटनाओं में मृतक संख्या मंगलवार को बढ़कर 209 हो गई है। सबसे अधिक प्रभावित रायगढ़ जिले में अकेले करीब 100 लोगों की मृत्यु हुई है, जबकि आठ लोग अब भी लापता हैं।
पिछले सप्ताह भारी बारिश से भीषण बाढ़ और राज्य में विशेषकर तटीय कोंकण और पश्चिमी महाराष्ट्र के क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर भूस्खलन की घटनाएं हुईं।
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया कि पिछले सप्ताह से भारी बारिश और बाढ़ के कारण मारे गए 209 लोगों में सबसे अधिक 95 रायगढ़ जिले से हैं। इसके बाद सतारा में 45, रत्नागिरी में 35, ठाणे में 14, कोल्हापुर में सात, मुंबई उपनगर में चार, पुणे में तीन, सिंधुदुर्ग, वर्धा और अकोला जिलों में दो-दो व्यक्तियों की मौत हुई।
रायगढ़, सतारा और रत्नागिरी जिलों में अधिकांश मौतें भूस्खलन के कारण हुईं जबकि कोल्हापुर और सांगली में बाढ़ के कारण लोगों की जान गई। महाराष्ट्र में एक जून से अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 296 लोगों की मौत हो चुकी है।
आपदा प्रबंधन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि स्थानीय अधिकारी मुख्य रूप से दुर्गम इलाकों और रुक-रुक कर हो रही बारिश के कारण बचाव कार्यों में तेजी लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और इससे उनका कार्य प्रभावित हो रहा है।
बाढ़ से 58,722 मवेशी भी मारे गए हैं, जिनमें से ज्यादातर सांगली, कोल्हापुर, सतारा और सिंधुदुर्ग जिलों से हैं। पश्चिमी घाट के हिस्से सह्याद्री पहाड़ों पर बारिश ने सतारा, सांगली और कोल्हापुर जिलों से होकर बहने वाली नदियों के जलस्तर को बढ़ा दिया है, जिसके कारण प्रशासन को और अधिक लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना पड़ा है। अब तक 4,34,185 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है, जिनमें से 2,11,808 अकेले सांगली से हैं।
उल्लेखनीय है कि सांगली जिले में भारी बारिश नहीं हुई, लेकिन सतारा जिले के कोयना बांध से अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण सांगली शहर और कई गांव बाढ़ की चपेट में आ गए। बांध कृष्णा नदी की एक सहायक नदी कोयना पर बनाया गया है। निकाले गए लोगों के लिए 308 राहत शिविर बनाए गए हैं, जिनमें से कोल्हापुर में 216, सांगली में 43, सतारा में 29, रत्नागिरी में 16 और रायगढ़ जिले में चार शिविर बनाए गए हैं।