Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

महाराष्‍ट्र विधानसभा के स्पीकर ने बताया- कैसे होगा शिवसेना के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला

हमें फॉलो करें maharashtra assembly speaker rahul narvekar
, बुधवार, 17 मई 2023 (07:39 IST)
Maharashtra Politics : महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को ‘शिवसेना’ का नाम और निशान देने का चुनाव आयोग का फैसला पूर्व प्रभावी नहीं, बल्कि भविष्य पर आधारित है।
 
नार्वेकर ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे सहित 16 विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय इस बिंदु पर शुरू होगा कि जुलाई 2022 में कौन सा गुट वास्तविक शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहा था।
 
विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई के फैसले में कहा कि भरत गोगावाले को मुख्य सचेतक (शिवसेना का) के रूप में नियुक्ति अवैध है और इस बात का कोई सत्यापन नहीं किया गया था कि उन्हें किसी राजनीतिक दल द्वारा नियुक्त किया गया था या नहीं।
 
विधानसभाध्यक्ष ने कहा कि गोगावाले को पार्टी का मुख्य सचेतक फिर नियुक्त किया जा सकता है यदि सर्वोच्च अदालत के निर्देशानुसार उचित प्रक्रिया का पालन किया जाता है और राजनीतिक दल उन्हें फिर से नामित करता है। अदालत ने विधानसभाध्यक्ष को मुख्य सचेतक के रूप में पुन: नियुक्त करने से प्रतिबंधित नहीं किया है।
 
पिछले साल महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी (MVA) के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने के कारण शिवसेना-केंद्रित टकराव पर अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने विश्वास मत का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था।
 
मुख्यमंत्री शिंदे सहित शिवसेना के 16 बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता की याचिकाओं पर सामान्यत: फैसला नहीं कर सकता और उसने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर को लंबित मामले पर ‘‘उचित अवधि’’ के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।
 
शिंदे इससे पहले उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। जून 2022 में शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने अपनी पार्टी के नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी जिससे शिवसेना बंट गई। शिंदे बाद में भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री बने।
 
शिंदे और ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना के दोनों समूहों ने अलग-अलग पार्टी के रूप में चुनाव लड़ा है, लेकिन उन्हें विधानसभा में अलग से मान्यता नहीं मिली है।
 
निर्वाचन आयोग ने इस साल फरवरी में मुख्यमंत्री शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ नाम और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ आवंटित किया था।
 
नार्वेकर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले के अनुसार, याचिकाओं पर फैसले की शुरुआत इस बिंदु से की जाएगी कि जुलाई 2022 में कौन सा गुट शिवसेना का प्रतिनिधित्व कर रहा था। हालांकि, भारत निर्वाचन आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और निशान आवंटित कर दिया है। फैसला पूर्व प्रभावी नहीं बल्कि भविष्य पर आधारित होगा। (भाषा)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कर्नाटक का 'किंग' कौन? सिद्धारमैया-डीके शिवकुमार से मिले कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खरगे- जानें क्या आया अपडेट