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मालदा में हिंसा का नंगा नाच, सरकार मौन

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, बुधवार, 6 जनवरी 2016 (19:46 IST)
दादरी का अखलाक हत्याकांड तो लोगों को आज भी याद होगा। याद तो यह भी होगा कि मीडिया ने किस तरह इस मुद्दे को उठाया था, लंबी-लंबी बहसें भी चली थीं। ...लेकिन पश्चिम बंगाल मालदा कांड को कितने लोग जानते हैं और कितने टीवी चैनलों पर 'मैराथन बहस' देखने को मिली? दरअसल, पश्चिम बंगाल के मालदा में ढाई लाख मुस्लिमों की भीड़ ने गत रविवार को हिंसा का जो तांडव रचा वह सोचने को अवश्य मजबूर करता है। आश्चर्यजनक तो यह भी रहा कि कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाने वाली इस घटना पर बंगाल की ममता सरकार मौन ही रही। 
मालदा में रविवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई थी जब ढाई लाख अल्पसंख्यकों की एक भीड़ ने उपद्रव मचाना शुरू कर दिया। दरअसल, एक कथित हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी द्वारा मोहम्मद पैगंबर पर की गई कथित टिप्पणी के विरोध में मुस्लिमों ने विरोध मार्च निकाला था, लेकिन अचानक हिंसा भड़क गई। बंगाल की ममता सरकार ने तो इस मामले को पूरी तरह से दबाने की तैयारी कर ली है।   
 
विदित हो कि रविवार को कालियाचक पुलिस स्टेशन के अंतर्गत सुरज इलाके में रैली निकाल रही मुस्लिमों की भीड़ ने करीब दो दर्जन गाड़ियों में आग भी लगा दी। खबर के मुताबिक वहां से गुजर रही बस में बैठे लोगों के साथ रैली में शामिल मुस्लिमों से झड़प हो गई। उसके बाद उन्होंने बस पर हमला कर दिया। बस में सवार लोगों ने जैसे तैसे अपनी जान बचाई। बीएसएफ की आ रही एक गाड़ी को भी हिंसक भीड़ ने आग लगा दी। 
 
इसके बाद भीड़ पुलिस स्टेशन के तरफ बढ़ी और बैरक वाले हिस्से को आग लगा दी। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि भीड़ इतनी हिंसक हो चुकी थी कि पुलिस वालों को भी जान बचाने के लिए भागना पड़ा। कई राउंड फायरिंग और बम भी फेंके गए। इतना ही नहीं भीड़ ने कुछ घरों में तोड-फोड़ भी की। अब इस घटना के बाद पूरे इलाके में माहौल तनावपूर्ण है। लोग घरों से निकलने में भी डर रहे हैं। हालात को संभालने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स की टीम को भी बुलाया गया।
 
वहीं एएसपी दिलीप हजरा ने मीडिया से बातचीत में बताया कि करीब ढाई लाख लोगों की भीड़ थी, जो हिंसक होकर उपद्रव मचा रही थी। भीड़ ने करीब 25 गाड़ियों को आग भी लगा दी। हिंसक भीड़ ने करीब दो दर्जन गाड़ियों को आग लगा दी। इसके बाद पूरे इलाके में धारा 144 लगा दी गई है। नेशनल हाइवे नंबर 34 पर निकाली इस रैली में प्रदर्शनकारी तिवारी को फांसी देने की मांग कर रहे थे। हजरा ने कहा कि यह एक धार्मिक जुटाव था, जिसमें करीब ढाई लाख लोग आए थे। पता तो यह भी चला है कि किसी शख्‍स को गोली लगी है, लेकिन इसकी आधिकारिक तौर पर पु‍ष्‍ट‍ि नहीं हुई।

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