सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है। इसमें एक व्यक्ति हल्दी की रस्म के दौरान दूल्हे को हल्दी लगाता दिखाई दे रहा है। अचानक वह गिर जाता है और और उसकी मौत हो जाती है। इस तरह के बढ़ते मामलों से लोग हैरान है। वे सवाल पूछ रहे हैं कि इन दिनों इस तरह अचानक होने वाली मौतों की संख्या क्यों बढ़ गई है?
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज सिंह ने भी इस वीडियो को ट्वीट किया है। साथ ही में उन्होंने सवाल किया कि ऐसा पहले कभी नहीं था अचानक हो रही मौतो की बाढ़ आ गई है ..! सरकार को इस भयानक भयावह जानलेवा समस्या पर विचार करना चाहिए। इसके कारणों का पता चलना चाहिए।
वीडियो में दिखाई दे रहा है कि शख्स के नीचे गिरते ही दूल्हा और परिवार के सदस्य उसे उठाते हैं। वीडियो में औरतों और बच्चों के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई देने लगती है।
उम्र 17 साल हो या 70 साल। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दिल हर उम्र के लोगों को धोखा दे रहा है। छींक आई और हार्ट अटैक आ गया। मंदिर में पूजा करते हुए हो गई मौत। शादी के फंक्शन में नाचते हुए गिरा और मौत आ गई। जिम में वर्कआउट, योगा या मॉर्निंग वॉक करते हुए भी लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं।
अपोलो अस्पताल इंदौर में कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अखिलेश जैन ने वेबदुनिया को बताया कि यह सही है कि इन दिनों ज्यादातर लोगों को अटैक आ रहे हैं। लेकिन यह पिछले करीब एक दशक से हो रहा है। उनका कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें लाइफस्टाइल और तनाव शामिल हैं। डॉक्टर जैन का कहना है कि ह्दय रोग एक लाइफस्टाइल बीमारी है। हालांकि बहुत सारे रिस्क फैक्टर्स होते हैं। इनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हेरिडेटरी यानी फैमिली हिस्ट्री भी हैं। उनका कहना है कि बदलती लाइफस्टाइल ने दिल का पूरा कबाड़ा किया है।
डॉ अखिलेश जैन ने बताया कि स्टडी कहती है जब हार्ट अटैक आता है तो 20 से 25 प्रतिशत मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। हार्टअटैक में ज्यादातर मौत की वजह होता है Arrhythmia जिसका मतलब होता है irregular heartbeat. यानी दिल की धड़कनों का अनियमित हो जाना। हमारा दिल जन्म से लेकर मौत तक काम करता रहता है। इसे संचालित करने के लिए ब्लड सप्लाय के लिए दिल में वायर का एक नेटवर्क होता है, जब अटैक आता है तो इस नेटवर्क का सप्लाय भी प्रभावित हो जाता है।
उन्होंने कहा कि अब निर्भर करता है कि किस केस में सिर्फ दर्द और दूसरे लक्षण आते हैं और किसमें धड़कनें अचानक से रुक जाती हैं। अगर दर्द होता है, पसीना आता है और बीपी कम होता है तो मरीज को अस्पताल जाने का वक्त मिल जाता है, लेकिन हार्ट के तारों में असर हो या धड़कन खराब हो जाती है तो समय नहीं मिलता। हालांकि ऐसे में तुरंत सीपीआर और समय पर एंबुलेंस मिल जाए तो जान बच सकती है।
Edited by : Nrapendra Gupta