रांची। अहमदाबाद विस्फोट मामले में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत ने मंगलवार को साक्ष्य के अभाव में रांची के मंजर इमाम और दानिश रियाज को बरी कर दिया गया। गुजरात के अहमदाबाद में वर्ष 2008 विस्फोट में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट में 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे।
अहमदाबाद में एनआईए की विशेष अदालत ने मामले में 13 साल बाद अपना फैसला सुनाया है। मामले में अब तक 49 आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। जांच के दौरान दावा किया गया था कि विस्फोट के तार बरियातू से जुड़े हैं। 2011 में गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने बरियातू इलाके में रहने वाले मंजर इमाम और दानिश रियाज के घर पर छापेमारी की थी। जून 2011 में दानिश को गुजरात के वड़ोदरा स्टेशन से गिरफ्तार किया गया और मार्च 2013 में मंजर इमाम को रांची के कांके इलाके से गिरफ्तार किया गया।
फैसले के बाद दोनों के परिवार वाले बेहद खुश थे। उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि उनके बच्चे बेगुनाह हैं फिर उन्हें 13 साल जेल में गुजारना पड़ा, यह समय कौन लौटाएगा? मंजर इमाम रांची विश्वविद्यायल में उर्दू का टॉपर था और उसे 2007 में रांची विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में स्वर्ण पदक भी मिला था जबकि दानिश रियाज साइबराबाद में आईटी कंपनी से जुड़ा था। दोनों रांची के बरियातू के जोड़ा तालाब के रहने वाले हैं। एनआईए की विशेष अदालत ने मंगलवार को 28 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।