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मन की बात में मोदी बोले, मत करो प्लास्टिक का इस्तेमाल

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नई दिल्ली , रविवार, 27 मई 2018 (14:36 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को मन की बात कार्यक्रम में जनता से अनुरोध किया कि वह घटिया किस्म के प्लास्टिक और पॉलिथीन का इस्तेमाल नहीं करें क्योंकि इससे पर्यावरण, वन्यजीवन तथा लोगों की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। 
 
प्रधानमंत्री ने लोगों से पूरे उत्साह के साथ पांच जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की अपील करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि हम पौधारोपण पर ध्यान केंद्रित करें। 
 
मोदी ने 'मन की बात' में कहा कि पौधा रोप देना पर्याप्त नहीं है बल्कि लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह उस पौधे के पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करें। 
 
उन्होंने कहा, 'पिछले कुछ हफ़्तों में हम सभी ने देखा कि देश के अलग-अलग क्षेत्रों में धूल - आंधी चली, तेज हवाओं के साथ-साथ भारी वर्षा भी हुई, जो कि बेमौसम है। जान-हानि भी हुई, माल-हानि भी हुई। यह सब, मूलतः मौसम के स्वरूप में बदलाव का परिणाम है। हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा ने हमें प्रकृति के साथ संघर्ष करना नहीं सिखाया है। हमें प्रकृति के साथ सदभाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़ कर रहना है।' 
 
रेडियो पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा, 'जब भीषण गर्मी होती है, बाढ़ आती है, बारिश थमती नहीं है, असहनीय ठंड पड़ती है तो हर कोई विशेषज्ञ बन करके ग्लोबल वार्मिंग , जलवायु परिवर्तन की बातें करता है लेकिन बातें करने से बात बनती है क्या? प्रकृति के प्रति संवेदनशील होना, प्रकृति की रक्षा करना, यह हमारा सहज स्वभाव होना चाहिए, हमारे संस्कारों में होना चाहिए।  
 
उन्होंने कहा कि इस वर्ष भारत आधिकारिक तौर पर विश्व पर्यावरण दिवस की मेजबानी करके गौरवान्वित महसूस कर रहा है। यह भारत के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह इस बात का परिचायक है कि जलवायु परिवर्तन को कम करने की दिशा में विश्व में भारत के बढ़ते नेतृत्व को भी स्वीकृति मिल रही है। 
 
मोदी ने कहा कि इस बार की थीम है 'प्लास्टिक प्रदूषण को हराना (बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन)' मेरी आप सभी से अपील है, इस थीम के भाव को, इसके महत्व को समझते हुए हम सब यह सुनिश्चित करें कि हम पॉलीथीन, लो ग्रेड या घटिया प्लास्टिक का इस्तेमाल न करें और प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने का प्रयास करें क्योंकि इससे हमारी प्रकृति पर, वन्यजीवन पर और हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है। 
 
उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के साथ सदभाव से रहना है, प्रकृति के साथ जुड़ करके रहना है। महात्मा गाँधी ने तो जीवन भर इस बात की वकालत की थी। जब आज भारत जलवायु न्याय की बात करता है, जब भारत ने सीओपी 21 और पेरिस समझौते में प्रमुख भूमिका निभाई, जब हमने इंटरनेशनल सोलर अलायंस के माध्यम से पूरी दुनिया को एकजुट किया तो इन सबके मूल में महात्मा गांधी के उस सपने को पूरा करने का एक भाव था। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पर्यावरण दिवस पर हम सब इस बारे में सोचें कि हम अपनी धरती को स्वच्छ और हरित बनाने के लिए क्या कर सकते हैं? किस तरह इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं? क्या नया कर सकते हैं? (भाषा)

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