नई दिल्ली। भारत में चीनी शेल कंपनियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई करते हुए गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) ने मुख्य साजिशकर्ता और रैकेट मास्टरमाइंड डॉर्टसे को गिरफ्तार किया है। डॉर्टसे दिल्ली एनसीआर से बिहार के एक सुदूर इलाके में भाग गया था और सड़क मार्ग से भारत से भागने की कोशिश कर रहा था।
कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने कहा कि डॉर्टसे के बारे में जानकारी मिलने पर एसएफआईओ में एक विशेष टीम का गठन किया गया, जिसे उक्त दूरस्थ स्थान पर प्रतिनियुक्त किया गया। 10 सितंबर, 2022 की शाम को डॉर्टसे को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया और उसकी ट्रांजिट रिमांड के आदेश प्राप्त किए गए।
डॉर्टसे जिलियन इंडिया लिमिटेड के बोर्ड में है। वह स्पष्ट रूप से भारत में चीनी लिंक वाली बड़ी संख्या में मुखौटा कंपनियों को शामिल करने तथा अपने बोर्ड में नकली निदेशक प्रदान करने के पूरे रैकेट के मास्टरमाइंड के रूप में उभरा है।
एमसीए ने कहा कि ROC (कंपनियों के रजिस्ट्रार) दिल्ली द्वारा जांच के दौरान प्राप्त साक्ष्य और एक साथ तलाशी अभियान स्पष्ट रूप से कई मुखौटा कंपनियों में डमी के रूप में काम करने के लिए जिलियन इंडिया लिमिटेड द्वारा भुगतान किए जा रहे डमी निदेशकों को इंगित करता है। साइट से कंपनी सील और डमी निदेशकों के डिजिटल हस्ताक्षर से भरे बक्से भी बरामद किए गए हैं।
एमसीए ने कहा कि भारतीय कर्मचारी एक चीनी इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप के माध्यम से चीनी समकक्षों के संपर्क में थे। हसीज़ लिमिटेड को भी जिलियन इंडिया लिमिटेड की ओर से काम करते हुए पाया गया था। प्रारंभिक टिप्पणियों से पता चलता है कि हसीज़ लिमिटेड का जिलियन हांगकांग लिमिटेड के साथ एक समझौता था। जांच अब तक इन मुखौटा कंपनियों की देश की वित्तीय सुरक्षा के लिए हानिकारक गंभीर वित्तीय अपराधों में संलिप्तता का पता चला है।
कारपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा 8 सितंबर 2022 को गुड़गांव में जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, बैंगलोर में फिनिंटी प्राइवेट लिमिटेड और हुसिस कंसल्टिंग लिमिटेड (हैदराबाद में एक पूर्व सूचीबद्ध कंपनी) के कार्यालयों में किए गए एक साथ तलाशी एवं जब्ती अभियान के बाद एसएफआईओ ने डॉर्टसे को गिरफ्तार किया है।
कंपनी रजिस्ट्रार के पास दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार डॉर्टसे ने खुद को हिमाचल प्रदेश के मंडी का निवासी बताया था। एमसीए ने 9 सितंबर, 2022 को जिलियन कंसल्टेंट्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और 32 अन्य कंपनियों की जांच एसएफआईओ को सौंपी थी। (वार्ता)