प्रयागराज। कुंभ मेले के सबसे महत्वपूर्ण स्नान पर्व 'मौनी अमावस्या' पर सोमवार को शाम 5 बजे तक लगभग 5 करोड़ श्रद्धालुओं ने यहां गंगा और संगम में आस्था की डुबकी लगाई। मेला प्रशासन ने बताया कि 3 फरवरी 2019 की मध्य रात्रि से मौनी अमावस्या का स्नान मुहूर्त आरंभ हो गया जो सोमवार की रात्रि तक है।
प्रशासन ने दावा किया, इस कुम्भ में 40 घाटों पर शाम तक लगभग 5 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर कुम्भ के साक्षी बने। सोमवारी मौनी अमावस्या दशकों बाद पड़ता है, इसलिए इस पर्व की भारतीय संस्कृति में महत्ता और भी बढ़ जाती है। गंगा, यमुना और संगम तट के दोनों तरफ आठ किलोमीटर क्षेत्र में बनाए गए 40 घाटों पर लोगों ने स्नान किया।
मेला प्रशासन के मुताबिक, मेले में आए श्रद्धालुओं के अपने परिवार से बिछड़ने पर पुलिस द्वारा अपराह्न 4 बजे तक 5,200 खोए हुए लोगों को डिजिटल खोया-पाया केन्द्रों पर उनके परिजनों से मिलवाया गया।
मेले में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए एनडीआरएफ और एटीएस के आला अधिकारी स्वयं मेला क्षेत्र में मौजूद रहे। आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के आईजी असीम अरुण ने बताया कि एटीएस की 2 टीमें 7 स्थानों पर तैनात हैं। इन टीमों में 8 महिला कमांडो भी शामिल हैं। एक टीम के कमांडो दो मोटर बोट्स पर भी तैनात हैं।
एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट असीम उपाध्याय ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में एनडीआरएफ की कुल 12 टीमें लगाई गई हैं। प्रत्येक टीम में 45-50 लोग शामिल हैं। दो टीमें प्रयागराज नगर में लगाई गई हैं जबकि नौ टीमें घाट पर लगाई गई हैं। एक टीम रिजर्व में रखी गई है।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा, संवेदनशील घाटों पर 55 गोताखोर लगाए गए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित हैं। साथ ही घाटों और नदी में एनडीआरएफ के 70 मोटर बोट भी परिचालन में हैं। एक वाटर एंबुलेंस भी चल रही है। वहीं प्रत्येक घाट पर मेडिकल कैंप लगाए गए हैं, जहां प्राथमिक उपचार के लिए पर्याप्त दवाएं आदि उपलब्ध हैं।
इस बीच, हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ भोर से ही अखाड़ों के नागा साधु संन्यासियों का शाही स्नान जारी रहा जो अपराह्न 3 बजकर 40 मिनट तक चला। सबसे पहले श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री पंचायती अटल अखाड़ा के साधु संतों ने सुबह सवा पांच बजे संगम घाट पर शाही स्नान किया।
इसके बाद श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा और तपोनिधि श्री पंचायती आनंद अखाड़ा के साधु संतों ने शाही स्नान किया। क्रम में तीसरे नंबर पर पंच दशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंच दशनाम आवाहन अखाड़ा और श्री शंभू पंच अग्नि अखाड़ा के साधु संतों ने सुबह आठ बजे शाही स्नान किया।
जूना अखाड़ा में नागा साधुओं की संख्या लगभग 8,000-10,000 थी और उनके जुलूस को देखकर ऐसा लग रहा था कि देशभर के नागा साधु संन्यासी सोमवती अमावस्या का शाही स्नान करने को प्रयागराज की धरती पर उतर आए हैं। जूना अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज ने भी शाही स्नान किया।
कुम्भ मेले के दूसरे शाही स्नान पर भी हेलीकाप्टर से नागा साधु संन्यासियों से पुष्प वर्षा की गई। इससे पहले मकर संक्रांति को हेलीकॉप्टर से फूल बरसाए गए थे।अग्नि अखाड़ा के बाद किन्नर अखाड़ा का अमृत स्नान लोगों का आकर्षण का केंद्र रहा और श्रद्धालुओं को किन्नर संन्यासियों से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उनके रथ की ओर भागते हुए देखा जा रहा था। किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अपने अखाड़े की अगुवाई कर रही थीं।
शाही स्नान के क्रम में आगे अखिल भारतीय श्री पंचनिर्वाणी अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा, अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा, श्री पंचायती अखाड़ा नया उदासीन, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन और श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के साधु संतों ने स्नान किया।