नई दिल्ली। त्रिपुरा और नागालैंड में भले ही कांग्रेस को करारी मात मिली हो लेकिन मेघालय में वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरा है और वहां उसे सरकार बनाने के लिए अभी भी नौ विधायकों का समर्थन चाहिए।
कांग्रेस ने यहां सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है। पार्टी ने राज्यपाल से कहा है कि वह दिए गए वक्त में विधानसभा में अपना बहुमत साबित कर देगी। सवाल यह है कि वह नौ विधायकों का समर्थन कहां से लाएगी।
कांग्रेस 21 सीटें जीतकर मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल और कमल नाथ सरकार बनाने के लिए स्वतंत्र उम्मीदवारों से गठजोड़ की संभावना पर बातचीत करने के लिए मेघालय में हैं। कांग्रेस के पास एक विकल्प यह है कि वह एनपीपी के साथ मिलकर सरकार बना ले। हालांकि एनपीपी भाजपा के भी संपर्क में है।
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी, हिल्स स्टेट पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, गारो नेशनल कांउसिल ने राज्य में कुल 8 सीटें जीती हैं जबकि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी 4 सीटें जीती हैं। इन्हें साधकर भी सरकार बनाई जा सकती है। इन दलों पर कांग्रेस के साथ ही भाजपा की भी नजरें लगी हुई है। यह दल जिसे समर्थन देंगे वह राज्य में अपनी सरकार बना लेगा।
कांग्रेस की पूर्व में इस बात को लेकर आलोचना हो चुकी है कि पार्टी दो राज्यों गोवा एवं मणिपुर में सबसे बड़े दल के रूप में उभरने के बावजूद शुरूआत में निष्क्रिय रही और वहां सरकारों के गठन में नाकाम रही।
सूत्रों ने बताया कि पटेल और कमल नाथ ने शिलांग पहुंचने के शीघ्र बाद ही पार्टी के नेताओं के अलावा निवर्तमान मुख्यमंत्री मुकुल संगमा से बातचीत की। दोनों नेताओं ने दावा किया है कि कांग्रेस मेघालय में सरकार बनाएगी और इस दिशा में काम कर रही है।
वासनिक ने कहा कि कांग्रेस पिछले पांच वर्षों से मेघालय में सत्ता में है और इस साल भी बहुमत आने की उम्मीद कर रही थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला है और एक तरह की विचारधारा वाली पार्टियों को सरकार बनाने के लिए साथ काम करना चाहिए।