जम्मू। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी को बढ़ा दिया गया है। महबूबा मुफ्ती आने वाले 3 महीने और नजरबंद रहेंगी। पिछले साल जम्मू कश्मीर में विशेष राज्य का दर्जा देने वाली अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ ही 5 अगस्त 2019 से महबूबा मुफ्ती नजरबंदी में थीं। दूसरे शब्दों में कहें तो पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की मुश्किलें अभी कम होती नजर नहीं आ रही हैं। वहीं दूसरी ओर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को एक साल बाद शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा कर दिया है।
जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर द्वारा जारी आदेश के अनुसार महबूबा मुफ्ती की हिरासत को पीएसए के तहत 3 माह के लिए और बढ़ाया गया है। उनकी हिरासत 5 अगस्त को खत्म हो रही थी। जानकारी के लिए पीडीपी अध्यक्ष को पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद हिरासत में लिया गया था।
सरकार ने इसी साल 14 फरवरी को महबूबा मुफ्ती पर जनसुरक्षा अधिनियम लगा दिया था। उन्हें ट्रांसपोर्ट यार्ड एमए रोड श्रीनगर पर बनाई गई जेल से गुप्कार रोड में बनाई गई जेल में 27 अप्रैल को हेयरव्यू शिफ्ट कर दिया गया था।
सज्जाद लोन नजरबंदी से रिहा : पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन को एक साल बाद शुक्रवार को नजरबंदी से रिहा कर दिया है। पिछले साल पांच अगस्त को जब से कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था, तब से सज्जाद लोन राज्य के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ ही नजरबंद किए गए थे। सज्जाद लोन ने रिहा होने के बाद इसकी जानकारी ट्विटर पर दी।
सज्जाद लोन ने ट्वीट किया कि आखिरकार एक साल पूरा होने से ठीक पांच दिन पहले मुझे बताया गया है कि अब मैं आजाद हूं। कितना कुछ बदल गया है। ऐसा नहीं है कि जेल का अनुभव मेरे लिए नया था। पहले जेल जाता था तो शारीरिक शोषण बहुत होता था। इस बार गया तो दिमागी रूप से बहुत परेशान रहा। जल्द ही बहुत कुछ साझा करूंगा।
लोन की रिहाई के बाद जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि सुनकर अच्छा लगा कि सज्जाद लोन को अवैध नजरबंदी से रिहा कर दिया गया है। उम्मीद है कि इसी तरह अवैध नजरबंदी में बंद दूसरे लोगों को भी रिहा किया जाएगा।
मोदी सरकार ने पिछले साल पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाने का ऐलान किया था। साथ ही जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों (जम्मू कश्मीर और लद्दाख) में बांटने का फैसला लिया था। इसी के मद्देनजर कई नेताओं को हिरासत में लिया गया था। अब सज्जाद लोन को रिहा कर दिया गया है।
सज्जाद लोन को कश्मीर के प्रमुख राजनेताओं में से एक माना जाता है। वह पूर्व सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद और पीएम नरेंद्र मोदी के करीबी कहे जाते हैं। लोन पूर्व में कश्मीर की हंदवाड़ा सीट से विधायक रह चुके हैं। साल 2014 में उन्होंने जम्मू कश्मीर में परोक्ष रूप से पीएम नरेंद्र मोदी का साथ भी दिया था। 2014 के विधानसभा चुनाव में लोन हंदवाड़ा से विधायक बने थे। लोन लंबे वक्त तक जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे के हिमायती रहे हैं।
इससे पहले बड़े नेताओं में फारुक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला को रिहा गया था, पर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अभी भी हिरासत में हैं क्योंकि प्रशासन उन्हें अभी भी शांति के लिए खतरा मानता है। विपक्षी पार्टियां सभी नेताओं को रिहा करने की मांग करती रही हैं।
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रो. सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी का मामला दिलचस्प हो गया है। प्रदेश प्रशासन ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में दावा किया था कि वह कहीं भी आने-जाने को स्वतंत्र हैं, पर वीरवार को सोज जब घर से बाहर निकले तो पुलिसकर्मियों ने घर में बंद कर दिया।
इसका सोशल मीडिया पर वीडियो भी वायरल हो गया। इस पर राजनीति भी शुरू हो गई है। इस पर भी बवाल मचा हुआ है। सोज को भी पांच अगस्त 2019 को कश्मीर में अन्य प्रमुख नेताओं के साथ हिरासत में लिया था और बाद में घर में नजरबंद कर दिया। उनकी रिहाई के लिए पत्नी ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
गत बुधवार को सुनवाई में गृह विभाग के विशेष सचिव के हलफनामे का संज्ञान लेते हुए अदालत ने याचिका को निरस्त कर दिया। सोज ने गत शाम ही सरकार के दावे का खंडन करते हुए कहा था कि मैं पांच अगस्त 2019 से अपने घर में बंद हूं, कहीं बाहर नहीं जा सकता।