Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आपातकाल में हर कदम पर संजय के साथ थीं मेनका : आर के धवन

Advertiesment
हमें फॉलो करें Menka Gandhi
नई दिल्ली , बुधवार, 24 जून 2015 (08:38 IST)
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के करीबी सहायक रहे आर के धवन ने खुलासा किया कि केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी अपने पति संजय के साथ हर जगह जाती थीं इसलिए उन्हें हर उस चीज की जानकारी थी, जो संजय ने आपातकाल के दौरान किया था। मेनका अब भाजपा में हैं और केंद्रीय मंत्री हैं।
 
धवन ने ‘इंडिया टुडे’ टीवी पर करन थापर के एक कार्यक्रम में कहा कि मेनका गांधी जानती थीं कि संजय क्या कर रहे हैं। उन्हें पूरी जानकारी थी। उन्होंने कहा कि अब वह यह दावा नहीं कर सकतीं कि उन्हें कुछ पता नहीं था।
 
उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रे आपातकाल के शिल्पकार थे, जिन्होंने इंदिरा गांधी पर देश में व्याप्त हालात पर काबू करने के लिए कुछ कठोर कदम उठाने के लिए जोर डाला था।
 
अगले पन्ने पर... चुनाव हारने पर क्यों खुश थी इंदिरा गांधी...

उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लागू किए जाने के बाद वर्ष 1977 में एक खुफिया रिपोर्ट में बहुमत मिलने का पूर्वानुमान जताए जाने के कारण चुनाव का आदेश दिया था और चुनाव हारने के बाद राहत भी महसूस की थी।
 
webdunia
धवन ने कहा कि इंदिरा गांधी को ऐसा कभी नहीं लगा कि उनकी हार के लिए किसी भी तरह संजय गांधी जिम्मेदार थे। वह आपातकाल के दौरान अपने बेटे की गतिविधियों से वाकिफ भी नहीं थीं और उन तक कभी संजय के खिलाफ कोई शिकायत पहुंची भी नहीं।
 
संजय को कुछ मुख्यमंत्री और नौकरशाह अपने इशारों पर चलाते थे और यह कह कर उन्हें उनकी मां की तुलना में अधिक शक्तिशाली होने का अहसास कराते थे कि वह ज्यादा भीड़ खींचते हैं। यह बात संजय के मन में घर कर गई थी।
 
इंदिरा के निजी सचिव रहे धवन ने कहा कि इंदिरा रात का भोजन कर रही थीं तभी मैंने उन्हें बताया कि वह हार गई हैं। उनके चेहरे पर राहत का भाव था। उनके चेहरे पर कोई दुख या शिकन नहीं थी। उन्होंने कहा था कि भगवान का शुक्र है, मेरे पास अपने लिए समय होगा।
क्यों किया गया इंदिरा को बदनाम... अगले पन्ने पर... 

धवन ने दावा किया कि इतिहास इंदिरा के साथ न्याय नहीं कर रहा है और नेता अपने स्वार्थ के चलते उन्हें ‘बदनाम’ करते हैं। उन्होंने कहा कि वह राष्ट्रवादी थीं और अपने देश के लोगों से उन्हें बहुत प्यार था।
 
उन्होंने कहा कि इंदिरा को उस आईबी रिपोर्ट पर भरोसा था कि वह बहुमत हासिल करेंगी। पी एन धर ने उन्हें खुफिया ब्यूरो की एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसके तत्काल बाद उन्होंने चुनावों की घोषणा कर दी थी। यहां तक कि एसएस रे ने भी पूर्वानुमान जताया था कि इंदिरा को 340 सीटें मिलेंगी।
 
धवन ने कहा कि रे ने आपातकाल के बहुत पहले इंदिरा को पत्र लिख कर कुछ कड़े कदम उठाने का सुझाव दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि तत्कालीन राष्ट्रपति फखरूद्दीन अली अहमद को आपातकाल लागू करने के लिए उद्घोषणा पर हस्ताक्षर करने में कोई आपत्ति नहीं है।
 
धवन ने बताया कि जब इंदिरा ने जून 1975 में अपना चुनाव रद्द किए जाने का इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश सुना था तो उनकी पहली प्रतिक्रिया इस्तीफे की थी और उन्होंने अपना त्यागपत्र लिखवाया था।
 
उन्होंने कहा कि वह त्यागपत्र टाइप किया गया लेकिन उस पर हस्ताक्षर कभी नहीं किए गए। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी उनसे मिलने आए और सबने जोर दिया कि उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi