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Pahalgam Terrorist Attack : कारगिल सरीखे लघु युद्ध हो सकते हैं सीमाओं पर, सेना हमले का जवाब देने की तैयारी में

सीमाओं पर कारगिल सरीखे लघु युद्ध हो सकते हैं। ऐसा होने की संभावना इसलिए व्यक्त की जाने लगी है, क्योंकि केंद्र की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना हमले का जवाब देने की तैयारी में है

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सुरेश एस डुग्गर

जम्मू , गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 (10:11 IST)
Pahalgam Terrorist Attack : पहले पुलवामा हमला (Pulwama attack) और अब पहलगाम नरसंहार (Pahalgam massacre)। ऐसे में पाकिस्तान (Pakistan) को मुहंतोड़ जवाब देने की खातिर 'सजा' और 'प्रतिकार' के बतौर पर चाहे भारत, पाकिस्तान पर हमला नहीं करेगा लेकिन इतना अब सुनिश्चित हो गया है कि सीमाओं पर कारगिल (Kargil ) सरीखे लघु युद्ध हो सकते हैं। ऐसा होने की संभावना इसलिए व्यक्त की जाने लगी है, क्योंकि केंद्र की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद भारतीय सेना (Indian Army) हमले का जवाब देने की तैयारी में है। पहले ही पुलवामा हमले के बदले के तौर पर बालाकोट एयर स्ट्राइक पाकिस्तानी तैयारियों और भारत के गुस्से को वर्ष 2019 के फरवरी महीने में प्रदर्शित कर चुकी हैं।ALSO READ: क्या पलटवार की तैयारी है? पहलगाम हमले के बाद तीनों सेनाओं को अलर्ट रहने के निर्देश
 
भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी : रक्षाधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि केंद्र की ओर से इस संबंध में हरी झंडी मिल चुकी है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि भारतीय सेना जवाबी कार्रवाई करने की तैयारी में जुटी है। हालांकि सेना की नॉर्दर्न  कमान में तैनात कई अफसर भी इस प्रकार के संकेत दे रहे हैं। पहले भी उड़ी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा हमले के बाद बालाकोट में एयर स्ट्राइक की जिम्मेदारी नॉर्दर्न कमांड को दी गई थी जिसने इसे बखूबी निभाया था।
 
सीमांत मोर्चों से मिलने वाली जानकारियों के मुताबिक भारतीय सेना पाकिस्तान को सजा देने के लिए कई विकल्पों की तैयारियों में जुटी है। मकसद पाकिस्तान को सजा देना है। सूत्रों के मुताबिक जवाबी हमला करने के लिए फिलहाल कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।ALSO READ: Pahalgam Terror Attack : पहलगाम हमले के बाद CCS Meeting के 5 बड़े फैसले कैसे तोड़ देंगे Pakistan की कमर
 
पाकिस्तान को पहलगाम हमले का जवाब देने की तैयारी जारी : राजनीतिक तथा कूटनीतिक मोर्चों के अतिरिक्त सैनिक मोर्चों पर भी पाकिस्तान को पहलगाम हमले का जवाब देने की तैयारी जारी है। सैनिक मोर्चों पर जो भी सुझाव जवाब देने के लिए सुझाए जा रहे हैं, उनका परिणाम अंत में भरपूर युद्ध के रूप में ही निकलता है। 
उस कश्मीर में स्थित प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट करने के लिए सुझाए गए 4 विकल्पों में से एक विकल्प जमीन से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस व पृथ्वी मिसाइलों के इस्तेमाल का भी है, जो पूरी तरह से अमेरीका की तर्ज पर करने की बात कही जा रही है।
 
भारतीय सेना को खूली छूट देने का विकल्प : ऐसी सलाह देने वालों का कहना है कि उस कश्मीर के भीतर स्थित प्रशिक्षण केंद्र अधिक गहराई में नहीं हैं और ब्रह्मोस व पृथ्वी जैसे मिसाइल उन पर पूरी तरह से अचूक निशाना लगाने में अपनी अहम भूमिका निभा सकते हैं।
 
3  प्रकार के अन्य विकल्प भी सुझाए जा रहे हैं। इनमें एक भारतीय सेना को खूली छूट देने का है अर्थात सर्जिकल स्ट्राइक की तरह भारतीय सेना एलओसी को पार कर 24 घंटों के भीतर आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों को नष्ट कर वापस लौटे। यह कमांडो कार्रवाई होगी जबकि सभी प्रशिक्षण केंद्र अभी भी एलओसी के पार पाक कब्जे वाले कश्मीर में ही हैं। पर पहली सर्जिकल स्ट्राइक और बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सेना के चौकन्ना हो जाने के बाद इस विकल्प को व्यावहारिक नहीं माना जा रहा है।ALSO READ: Pahalgam Terror Attack : पहलगाम हमले में 2 लोकल के साथ शामिल थे 7 आतंकी, 3 दिन कश्मीर के लिए भारी, कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम के निर्देश
 
सेना को बोफोर्स तोपों का खुलकर इस्तेमाल करने की इजाजत देने का विकल्प : सेना को बोफोर्स तोपों का खुलकर इस्तेमाल करने की इजाजत देने का विकल्प भी है। इसके अतंर्गत एलओसी से 18 से 20 किमी की दूरी पर स्थित कुछ प्रशिक्षण केंद्रों पर मोर्टार, बोफोर्स तोपों से हमला किया जाए। बोफोर्स तोप पहाड़ों में 28 से 30 किमी की दूरी तक मार कर सकती हैं। एलओसी पर बोफोर्स तोपों की तैनाती फिर से हो चुकी है।ALSO READ: Pahalgam Attack : पहलगाम आतंकी हमले से भड़के लोग, जम्मू में पाकिस्‍तान विरोधी प्रदर्शन, कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प
 
प्रशिक्षण केंद्रों को उड़ाने का विकल्प भी : सूत्रों के अनुसार इनके अतिरिक्त एक बार फिर भारतीय वायुसेना और ड्रोन हमलों का इस्तेमाल कर प्रशिक्षण केंद्रों को उड़ाने का विकल्प भी सैनिक कार्रवाई के तहत खुला है। प्रशिक्षण केंद्रों पर हवाई हमले किए जाने का जो विकल्प दिया गया है उसके अंतर्गत यह कहा जा रहा है कि मिराज-2000 तथा सुखोई विमानों का इस्तेमाल किया जाए, जो अचूक निशाना साधने तथा गहराई तक हमला करने में सक्षम माने जाते हैं।
 
जम्मू-कश्मीर के सभी सैनिक हवाई अड्डों का इस्तेमाल करना होगा : हालांकि इसके लिए दोनों किस्म के विमानों को जम्मू-कश्मीर के सभी सैनिक हवाई अड्डों का इस्तेमाल करना होगा। यह बात अलग है कि कल रात को सीसीएस की बैठक में जो फैसले लिए गए हैं, उससे भारतीयों में अधिक खुशी की लहर इसलिए नहीं है, क्योंकि सिंधु जल संधि समझौते को सिर्फ स्थगित किया गया है न कि खत्म।
 
Edited by: Ravindra Gupta

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