नई दिल्ली। अगले साल एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में भेजने की योजना का गगनयान मिशन पर कोई असर नहीं पड़ेगा और यह अपने नियत कार्यक्रम के अनुसार जारी रहेगा। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने शुक्रवार को यह बात कही।
सिंह ने कहा कि आईएसएस संबंधी भारत-अमेरिका संयुक्त मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की पसंद, व्यापक रूप से खुली है और इसे गगनयान मिशन के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए, जिसका प्रक्षेपण भी 2024 के अंत में निर्धारित है। भारत-अमेरिका के संयुक्त मिशन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान की गई।
मंत्री ने कहा, उन्होंने (अमेरिका ने) 2024 के लिए एक मिशन की योजना बनाई है। क्या यह किसी भारतीय को ले जाएगा, इस पर अभी काम किया जा रहा है। गगनयान पर काम चल रहा है। इसकी प्रगति पर कोई आवश्यक प्रभाव नहीं पड़ेगा। सिंह ने जोर देकर कहा कि गगनयान पूरी तरह से एक अलग मिशन है जिसकी अपनी समयसीमा है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमें दोनों को मिलाना नहीं है। आपका प्रश्न इस धारणा पर आधारित है कि जो अंतरिक्ष यात्री आईएसएस जा रहा है वह गगनयान से है। ऐसा नहीं हो सकता है। विकल्प खुला है। यह उपयुक्तता पर अधिक निर्भर करता है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री पर वास्तविक निर्णय आईएसएस के लिए मिशन को अंतिम रूप दिए जाने के बाद लिया जाएगा।
उन्होंने गगनयान के लिए प्रशिक्षित किसी अंतरिक्ष यात्री के आईएसएस की यात्रा करने से इनकार नहीं किया, ताकि उन्हें अंतरिक्ष उड़ान का प्रत्यक्ष अनुभव मिल सके। सिंह ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका से सहयोग के साथ-साथ रूस के साथ उसका अंतरिक्ष सहयोग भी जारी रहेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या नासा की सुविधाओं में भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के प्रशिक्षण से इस संबंध में रूस पर निर्भरता कम होगी, मंत्री ने कहा, रूस के साथ हमारे संबंध हैं और अमेरिका के साथ भी। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने गुरुवार को व्हाइट हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ बैठक के बाद कहा कि भारत और अमेरिका 2024 में एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए सहयोग कर रहे हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)