नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने में विफल रही महबूबा मुफ्ती की सरकार के तौर तरीकों से मोदी सरकार संतुष्ट नहीं है। जल्द ही वहां की स्थितियों पर काबू नहीं पाया गया तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।
आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद से जम्मू-कश्मीर में जारी हिंसा में अब तक 66 लोगों की जान जा चुकी है। राज्य में सबसे खराब हालात दक्षिण कश्मीर में है, जहां पीडीपी का दबदबा माना जाता है। भाजपा नेताओं का मानना है कि पीडीपी वोट बैंक की राजनीति के तहत ही कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रही है।
सूत्रों के अनुसार राजनाथ सिंह का दौरा राज्य सरकार पर प्रभावी कार्रवाई के लिए दबाब बनाना व राजनीतिक संवाद की पहल करना है। इसके पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी राज्य के विपक्ष के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। पत्थरबाजी में पहचाने गए लगभग 80 लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने को लेकर भी केंद्र सरकार महबूबा से नाराज है।
हालांकि कश्मीर मामलों से जुड़े भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि राजनाथ सिंह के कश्मीर से लौटने के बाद हालात की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद कुछ राजनीतिक फैसले भी लिए जा सकते हैं। इस बात के भी संकेत मिल रहे हैं कि भविष्य में भाजपा पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेकर राज्यपाल शासन के जरिए हालात संभालने की कोशिश कर सकती है।