नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी सरकार में बढ़ती जन भागीदारी का उल्लेख करने के साथ आपातकाल के दिनों का स्मरण करते हुए आज कहा कि एक वह समय था जब आपातकाल के दौरान लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया गया और आज यह वक्त है जब लोग सरकार के कार्यों का मूल्यांकन कर सकते हैं।
मोदी ने आकाशवाणी पर अपने कार्यक्रम मन की बात में कहा कि 25 जून की रात और 26 जून 1975 की सुबह लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय था जब सभी नागरिकों के अधिकार छीन लिए गए। उन्हें जेल में डाल दिया गया और देश को जेल में बदल दिया गया तथा जयप्रकाश नारायण जैसे कई नेताओं को सींखचों के पीछे धकेल दिया गया लेकिन उस दौरान लोगों ने लोकतंत्र को जिस तरह बचाए रखा, वह सराहनीय था।
उन्होंने कहा कि वह विशेषकर नई पीढ़ी को कहना चाहता हैं कि हमारी ताकत लोकतंत्र है, जिसका उत्तम उदाहरण आपातकाल में प्रस्तुत हुआ। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र का मतलब सिर्फ मत देना और सरकार बनाना ही नहीं है। इसके कई और पहलू हैं, जिसमें सबसे बड़ा पहलू है जन-भागीदारी। जनता का मिजाज, जनता की सोच, और सरकारें जितनी जनता से ज्यादा जुड़ती हैं, उतनी देश की ताकत ज्यादा बढ़ती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जनता और सरकारों के बीच की खाई होने के कारण ही देश प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सका। इसलिए सरकार अब जन-भागीदारी से देश आगे बढ़ाने के काम में लगी है। कुछ आधुनिक विचार वाले नौजवानों के सुझाव पर उन्होंने अपनी सरकार के कार्यों का मूल्यांकन कराया और लोगों ने रेट माई गवर्नमेंट-माईजीओवीडॉट इन पर सरकार के कार्यों पर अपनी राय व्यक्त की, जिसका जवाब देने के लिए 3 लाख लोगों ने मेहनत की, जिनके वह आभारी हैं।
मोदी ने कहा कि सरकार की ग्रामीण रोजगार की योजना की वेबसाइट के पोर्टल सब से ज्यादा लोगों ने बढ़-चढ़ कर के हिस्सा लिया। इससे लगता है कि ग्रामीण जीवन से जुड़े, गरीबी से जुड़े हुए लोगों का इसमें बहुत बड़ा सक्रिय योगदान था। इससे यह जाहिर होता है कि 26 जून को एक वह वक्त था ,जनता की आवाज दबोच दी गई थी और आज यह वक्त है कि जब जनता खुद सरकार के कार्यों का मूल्यांकन करती है और यही लोकतंत्र की ताकत है। (वार्ता)