नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम चुनाव में भाजपा की भारी जीत ने इस अटकल को हवा दी है कि क्या वह वर्तमान जनप्रतिनिधियों को टिकट नहीं देने की अपनी रणनीति राज्यों के आगामी चुनावों में भी दोहराएगी। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी यह रणनीति अक्सर अपनाते रहे हैं।
दिल्ली के नगर निगम चुनाव में किसी भी मौजूदा पार्षद को चुनाव मैदान में नहीं उतारने की रणनीति मोदी से सीखी गई क्योंकि उन्होंने एक समय में गुजरात में सभी पार्षदों को बदल दिया था जिसके बाद भाजपा ने निकाय चुनावों में दो तिहाई बहुमत हासिल किया।
मोदी ने विधानसभा चुनाव में भी कई वर्तमान विधायकों को टिकट नहीं दिया जब उनकी पार्टी ने एक चुनाव के बाद दूसरे चुनाव में प्रभावशाली जीत हासिल की। बिहार भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने इस रणनीति को आज एक ट्वीट के जरिये स्वीकार किया।
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'नरेंद्र भाई ने गुजरात में सभी पार्षदों को बदल दिया था और स्थानीय निकाय चुनाव में दो तिहायी सीटें हासिल की। यही रणनीति एमसीडी चुनाव में काम कर गई।'
भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम में पिछले 10 वर्षों में पार्टी का प्रदर्शन कुछ खास नहीं होने के बावजूद दिल्ली निकाय चुनाव में इस रणनीति के काम कर जाने के बाद कई नेता यह सोच रहे हैं क्या यह फार्मूला दोहराया जा सकता है?
उन राज्यों के उलट जहां भाजपा ने मोदी और उसके अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में चुनाव जीते वह उन राज्यों में सत्ता में नहीं थी और अगले राज्य जहां चुनाव होने हैं उसमें गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान हैं। भाजपा इन राज्यों में सत्ता में है और उसे यहां सत्ता विरोधी लहर का सामना करना होगा।
भाजपा गुजरात में लगभग दो दशक से सत्ता में है और मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सत्ता के 15 वर्ष पूरे करेगी। (भाषा)