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'मन की बात' में मोदी ने किसानों से की यह अपील...

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नई दिल्ली , रविवार, 26 नवंबर 2017 (15:05 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि यूरिया के उपयोग से जमीन को गंभीर नुकसान पहुंचता है, ऐसे में हमें संकल्प लेना चाहिए कि 2022 में देश जब आजादी के 75वीं वर्षगांठ मना रहा हो तब हम यूरिया के उपयोग को आधा कम कर दें।
 
आकाशवाणी पर प्रसारित 'मन की बात' कार्यक्रम में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि हर प्रकार के वैज्ञानिक तरीकों से यह सिद्ध हो चुका है कि धरती मां को आवश्यकता से अधिक यूरिया के उपयोग से गंभीर नुकसान पहुंचता है। किसान तो धरती का पुत्र है, किसान धरती मां को बीमार कैसे देख सकता है?
 
उन्होंने कहा कि समय की मांग है, इस मां-बेटे के संबंधों को फिर से एक बार जागृत करने की। क्या हमारे किसान, हमारे धरती के पुत्र, हमारी धरती के संतान ये संकल्प कर सकते हैं कि आज वो अपने खेत में जितने यूरिया का उपयोग करते हैं, 2022 में जब आजादी के 75 साल होंगे, तब वह उसका आधा उपयोग बंद कर देंगे? 
 
मोदी ने कहा कि एक बार अगर मां-धरती का पुत्र (मेरा किसान भाई) ये संकल्प कर ले तो देखिए कि धरती मां की सेहत सुधर जाएगी, उत्पादन बढ़ जाएगा। किसान की जिंदगी में बदलाव आना शुरू हो जाएगा।
 
विश्व मृदा दिवस का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इस देश के किसान के जीवन में दोनों ही बातों का महत्व रहा है- अपनी मिट्टी के प्रति भक्ति और साथ-साथ वैज्ञानिक रूप से मिट्टी को सहेजना-संवारना। हम सबको इस बात का गर्व है कि हमारे देश के किसान परंपरा से भी जुड़े रहते हैं और आधुनिक विज्ञान की तरफ भी रुचि रखते हैं, प्रयास करते हैं, संकल्प करते हैं।
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुझे यह देखकर बहुत खुशी होती है कि मेरे किसान भाई मृदा-स्वास्थ्य कार्ड में दी गई सलाह पर अमल करने के लिए आगे आए हैं और जैसे-जैसे परिणाम मिल रहे हैं, उनका उत्साह भी बढ़ता जा रहा है। अब किसान को भी लग रहा है कि अगर फसल की चिंता करनी है तो पहले धरती मां का ख्याल रखना होगा और अगर धरती मां का ख्याल हम रखेंगे तो धरती मां हम सबका ख्याल रखेंगी।
 
मोदी ने कहा कि देशभर में हमारे किसानों ने 10 करोड़ से अधिक मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवा लिए हैं ताकि वे अपनी मिट्टी को बेहतर ढंग से समझ सकें और उसके अनुरूप फसल भी बो सकें। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु परिवर्तन अब हम सब लोग अनुभव करने लगे हैं। वो भी एक वक्त था कि दिवाली के पहले सर्दी आ जाती थी। अब दिसंबर दस्तक दे रहा है और सर्दी बहुत धीरे-धीरे-धीरे कदम बढ़ा रही है। लेकिन जैसे ही सर्दी शुरू हो जाती है, हम सबका अनुभव है कि रजाई से बाहर निकलना जरा अच्छा नहीं लगता है। लेकिन ऐसे मौसम में भी सतत-जागरूक रहने वाले लोग कैसा परिणाम लाते हैं... और ये उदाहरण हम सबके लिए प्रेरणा देते हैं।
 
उन्होंने कहा कि आपको भी सुनकर आश्चर्य होगा कि मध्यप्रदेश के एक 8 वर्षीय दिव्यांग बालक तुषार ने अपने गांव को खुले में शौच से मुक्त कराने का बीड़ा उठा लिया। इतने व्यापक स्तर का काम और इतना छोटा बालक! लेकिन जज्बा और संकल्प उससे कई गुना बड़े थे, वृहद थे और ताकतवर थे। 8 वर्षीय बालक बोल नहीं सकता लेकिन उसने सीटी को अपना हथियार बनाया और सुबह 5 बजे उठकर अपने गांव में घर-घर जाकर लोगों को सीटी से जगा करके हाथ के माध्यम से अपने हावभाव से खुले में शौच न करने के लिए शिक्षा देने लगा।
 
स्वच्छता अभियान और जागरूकता के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि हर दिन 30-40 घरों में जा करके स्वच्छता की सीख देने वाले इस बालक की बदौलत कुम्हारी गांव खुले में शौच से मुक्त हो गया। स्वच्छता को बढ़ावा देने की दिशा में उस नन्हे बालक तुषार ने प्रेरक काम किया। इससे स्पष्ट है कि स्वच्छता की न कोई उम्र होती है, न कोई सीमा।
 
उन्होंने कहा कि बच्चा हो या बुजुर्ग, महिला हो या पुरुष, स्वच्छता सभी के लिए जरुरी है और स्वच्छता के लिए हर किसी को कुछ-न-कुछ करने की भी जरुरत है। हमारे दिव्यांग भाई-बहन दृढ़-निश्चयी हैं, सामर्थ्यवान हैं, साहसिक और संकल्पवान हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर पल हमें कुछ-न-कुछ सीखने को मिलता है। आज वे हर एक क्षेत्र  में अच्छा कर रहे हैं। चाहे खेल का क्षेत्र हो, कोई प्रतिस्पर्धा का हो, कोई सामाजिक पहल हो- हमारे दिव्यांगजन भी किसी से पीछे नहीं रहते हैं। आप सबको याद होगा कि हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने रियो ओलंपिक में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 4 पदक जीते थे और नेत्रहीन टी-20 विश्व कप क्रिकेट में भी चैंपियन बने थे।
 
दिव्यांगजनों की प्रतिभा और लगन का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि देशभर में अलग-अलग तरह की प्रतियोगिताएं होती रहती हैं। पिछले दिनों उदयपुर में 17वीं राष्ट्रीय पारा तैराकी प्रतियोगिता आयोजित हुई। देशभर के विभिन्न हिस्सों से आए हुए हमारे युवा दिव्यांग भाई-बहनों ने इसमें भाग लिया और अपने कौशल का परिचय दिया।
 
उन्होंने कहा कि उन्हीं में से एक हैं गुजरात के 19 साल के जिगर ठक्कर, उनके शरीर के 80% हिस्से में मांसपेशियां ही नहीं हैं लेकिन उनका साहस, संकल्प और उनकी मेहनत को देखिए! राष्ट्रीय पारा तैराकी प्रतियोगिता प्रतियोगिता में 19 साल के जिगर ठक्कर, जिसके शरीर में 80% मांसपेशी न हो और 11 मैडल जीत जाए! उनके इसी कौशल का परिणाम है कि वो भारत के भारतीय खेल प्राधिकरण द्वारा पारालम्पिक के लिए चुने गए। वे 32 पारा तैराकों में से एक हैं जिन्हें गुजरात के गांधीनगर में उत्कृष्टता में प्रशिक्षण दिया जाएगा।
 
मोदी ने कहा कि मैं युवा जिगर ठक्कर के जज्बे को सलाम करता हूं और उन्हें अपनी शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने कहा कि आज दिव्यांगजनों के लिए पहुंच और अवसर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। हमारा प्रयास है कि देश का हर एक व्यक्ति सशक्त हो। एक समावेशी समाज का निर्माण हो। 'सम' और 'मम' के भाव से समाज में समरसता बढ़े और हम सब एकसाथ मिलकर के आगे बढ़ें। (भाषा)

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