पूरे देश के आसमानी पटल पर बादल छा गए हैं। कुछ राज्य तो बारिश से तरबतर हो गए हैं लेकिन कुछ राज्यों में अभी उतनी बारिश नहीं हो रही है जिससे की उमस का प्रकोप न रहे। हालांकि कई जगहों पर से बाढ़ की खबरें भी आ रही है। कुल मिलाकर इस वर्ष मौसम विभाग द्वारा अच्छी बारिश की संभावना जताई जा रही है।
अचानक पश्चिम बंगाल से उठने वाले मानसून ने भी रफ्तार पकड़ ली है। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में रविवार को सुबह हल्की बूंदाबांदी के रूप में बारिश हुई। घने बादलों की चादर छाने से मौसम खिला खिला नजर आने लगा है। आने वाले तीन चार दिनों तक लगातार झमाझम बारिश के संकेत हैं।
तीन दिन पहले बिहार में अटका मानसून कुलांचे मारता हुआ पूर्वी उत्तर प्रदेश के रास्ते पश्चिम उत्तर प्रदेश और समूचे एनसीआर में पहुंच गया है। जबकि अमूमन पूर्वी और पश्चिम उत्तर प्रदेश में मानसून को पहुंचने में चार पांच दिन का समय लगता है। वहीं मध्य प्रदेश में भी कहीं कहीं जगह बारिश हो रही है।
अल नीनो के निष्क्रिय होने और वैश्विक स्तर पर हुए वातावरण बदलावों के आधार पर मौसम वैज्ञानिकों ने इस बार मानसून सीजन में ठीक ठाक बारिश की संभावना जताई है।
आईएमडी ने अगले 24 घंटों में पूर्वी राजस्थान के साथ उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अगले तीन-चार दिनों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। आईएमडी ने कहा, 'दक्षिण पश्चिम मॉनसून राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों के साथ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बाकी के भागों में आगे बढ़ा है।' इसके साथ ही देश के सभी 36 सब-डिवीजन मॉनसून के घेरे में हैं।
निजी मौसम एजेंसी स्काईमेट के निदेशक महेश पलावत ने कहा, 'मानसून दिल्ली व हरियाणा के सोनीपत को घेरे हुए है। हालांकि, हरियाणा के कुछ हिस्सों में अगले 24 घंटों में मानसून पहुंच सकता है।' दिल्ली में मानसून के समय से दस्तक देने से इस साल अच्छे मानसून की अनुमान को सहारा मिला है।
आमतौर पर मानसून पहुंचने के लिए जिस तारीख का अनुमान दिया जाता है उससे सात दिनों के भीतर मानसून आ जाने को स्टैंडर्ड मानक पर सामान्य ही माना जाता है। आईएमडी के अनुसार, भारत में इस साल मानसून में जून से सितंबर के बीच करीब 98 फीसदी बारिश होगी। (एजेंसी)