भोपाल। वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद कांग्रेस से त्याग-पत्र की औपचारिक घोषणा के चलते मध्यप्रदेश में उनके समर्थक 14 से अधिक मंत्रियों और विधायकों ने भी त्याग-पत्र विधानसभा अध्यक्ष को ई-मेल के जरिए भेज दिए हैं। इसी के साथ 14 माह पुरानी कांग्रेस सरकार का अब संकट से निकलना मुश्किल नजर आ रहा है।
बताया गया है कि कुल 19 मंत्रियों और विधायकों ने त्याग-पत्र भेजा है, जो वर्तमान में बेंगलुरू में हैं। राज्य विधानसभा में वर्तमान में 228 विधायकों में से कांग्रेस के 114, भाजपा के 107, बसपा के 2, सपा का 1 और 4 निर्दलीय विधायक हैं।
आगर और जौरा विधानसभा सीट रिक्त हैं। 19 विधायकों के त्याग-पत्र स्वीकृत होने की स्थिति में कांग्रेस विधायकों की संख्या घटकर 95 पर आ जाएगी और इस तरह सरकार का संकट से निकलना मुश्किल हो जाएगा।
सिंधिया के समर्थक नेताओं ने यहां बताया कि बेंगलुरू में ठहरे 19 विधायक और मंत्रियों ने विधायक पद से त्याग-पत्र ई-मेल के जरिए विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिए हैं।
सिंधिया के खास समर्थक माने-जाने वाले प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी ने भी ट्वीट में लिखा है 'जहां सिंधियाजी वहां मैं। मैंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस हटा लिया है।
इसके अलावा ग्वालियर चंबल अंचल और प्रदेश में विभिन्न स्थानों से सिंधिया के समर्थक पदाधिकारियों के भी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को त्याग-पत्र भेजे जाने की सूचनाएं हैं।
अब सभी की निगाहें शाम को 5 बजे यहां मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली कांग्रेस विधायक दल की बैठक पर लगी हुई हैं। माना जा रहा है कि इस बैठक में मुख्यमंत्री कमलनाथ बड़ा निर्णय ले सकते हैं। सूचना है कि इस संबंध में वे अपने विश्वस्त साथियों के साथ सलाह-मशविरा कर रहे हैं।
इसके बाद शाम 7 बजे प्रदेश भाजपा कार्यालय में भाजपा विधायक दल की भी महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है। माना जा रहा है कि इसमें मौजूदा राजनैतिक घटनाक्रम के मद्देनजर अगली रणनीति तय की जाएगी।
इसमें विधायक दल का नया नेता चुने जाने की संभावना से भी पार्टी नेताओं ने इंकार नहीं किया है। बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा के प्रदेश संगठन प्रभारी डॉ. विनय सहस्त्रबुद्धे भी पहुंच गए हैं। प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की बैठकों का दौर भी जारी है।
राज्य में पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से चल रही राजनीतिक उठापटक अब पूरी तरह चरम पर पहुंच गई है और माना जा रहा है कि आज रात तक सरकार के भविष्य को लेकर स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी।