नई दिल्ली। उच्च गति का मैसुरु-बेंगलुरु-चेन्नई रेलवे गलियारा बनने के दौरान रोजगार के करीब एक लाख नौकरी के अवसर पैदा होंगे। यह बात भारत में जर्मनी के राजदूत मार्टिन नेव ने गुरुवार को यहां इस गलियारे से संबंधित व्यवहार्यता रिपोर्ट रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अश्वनी लोहानी को सौंपने के बाद कही। यह रिपोर्ट जर्मनी ने तैयार की है।
नेव ने बताया कि इसे पूरा करने में 18 महीनों का समय लगा है। उच्च गति की रेल सेवा न केवल व्यवहार्य है बल्कि रेल यातायात प्रबंधन तथा यातायात संपर्क सुधारने का सबसे बेहतर हल है। यह गलियारा हवाई सेवा से भी अधिक तेज होगा, क्योंकि इससे हवाई अड्डे पर प्रवेश में लगने वाले समय की बचत होगी। इसके साथ ही सड़कों पर भीड़-भाड़ का दबाव कम होगा। इस परियोजना पर 16 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत आने का अनुमान है।
नेव ने कहा कि उच्च गति रेलवे ट्रैक के लिए जमीन हासिल करना मुश्किल होता है। भारत में बहुत जमीन है लेकिन यहां भूमि अधिग्रहण में समस्या है। जर्मनी में जमीन की कमी है। दोनों देश कम से कम जमीन के बेहतर इस्तेमाल पर अनुभवों को साझा कर सकते हैं। मौजूदा रेल लाइनों का बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। ट्रैक का इस्तेमाल उच्च गति की ट्रेनों के लिए भी नहीं बल्कि मालगाड़ियों समेत दूसरी ट्रेनों के लिए भी किया जाना चाहिए।
जर्मन राजदूत ने कहा कि इस गलियारे से 2021-35 के बीच प्रत्यक्ष रूप से रोजगार के कम से कम 30,000 अवसर पैदा होंगे जबकि 2024-2026 के दौरान जब इस पर तेजी से काम होगा तो रोजगार के एक लाख अवसर सृजित होंगे। इसके बनने पर चेन्नई से बेंगलुरु जाने में 100 मिनट तथा बेंगलुरु से मैसुरु जाने का 40 मिनट का समय लगेगा।