बेंगलुरु। इंफोसिस के संस्थापक एनआर नारायणमूर्ति ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 रोधी टीका बनाने और लोगों को यह टीका लगाने के बावजूद विज्ञान में अनुसंधान के क्षेत्र में भारत को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अफ्रीका महाद्वीप के गाम्बिया में भारत निर्मित खांसी के सिरप के कारण 66 बच्चों की मौत का उल्लेख करते हुए कहा कि इस घटना ने देश को शर्मसार कर दिया है।
नारायणमूर्ति ने इंफोसिस साइंस फाउंडेशन की ओर से प्रदान किए जाने वाले पुरस्कार के लिए आयोजित एक कार्यक्रम में यह बात कही। इसके तहत 1 लाख अमेरिकी डॉलर का पुरस्कार दिया जाता है। इस बार यह पुरस्कार 6 लोगों को प्रदान किया गया।
नारायणमूर्ति ने कोविड-19 टीकों की अरबों खुराकों का निर्माण और आपूर्ति करने वाली कंपनियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह प्रत्येक मानक पर खरी उतरने वाली एक उपलब्धि है। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के सरकार के कदम की सराहना भी की। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रोफेसर कस्तूरीरंगन समिति की सिफारिशों पर आधारित है।
इंफोसिस के संस्थापक ने प्रोफेसर गगनदीप कांग और कई अन्य लोगों के लंदन में रॉयल सोसाइटी के फैलो बनने और मिलेनियम पुरस्कार जीतने वाले प्रोफेसर अशोक सेन की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि ये सभी उत्साहजनक और सुखद घटनाएं हैं, जो दर्शाती हैं कि भारत पूरी तरह से विकास के पथ पर है लेकिन हमारे सामने अभी भी बड़ी चुनौतियां हैं।
नारायणमूर्ति ने कहा कि वर्ष 2020 में घोषित दुनिया के विश्वविद्यालयों की वैश्विक रैंकिंग के शीर्ष 250 संस्थानों में उच्च शिक्षा का एक भी भारतीय संस्थान नहीं है। यहां तक कि हमारे द्वारा उत्पादित टीके भी या तो उन्नत देशों की तकनीक पर आधारित हैं या विकसित दुनिया के शोध पर आधारित हैं। नतीजतन हमने अभी भी डेंगू और चिकनगुनिया के लिए कोई टीका नहीं बनाया है, जो बीमारियां पिछले 70 वर्षों से हमें तबाह कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि गाम्बिया में भारत निर्मित खांसी के सिरप के कारण 66 बच्चों की मौत की घटना हमारे देश के लिए बेहद शर्मसार करने वाली है और इसने हमारी दवा नियामक एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं।
नारायणमूर्ति के मुताबिक विशेषज्ञों का मानना है कि तत्काल दबाव वाली समस्याओं को हल करने के लिए अनुसंधान का उपयोग करने में भारत की अक्षमता, कम उम्र में जिज्ञासा पैदा करने की कमी, शुद्ध और अनुप्रयुक्त अनुसंधान के बीच संबंध, उच्च शिक्षण संस्थानों में अपर्याप्त अत्याधुनिक अनुसंधान, बुनियादी ढांचे की कमी, अपर्याप्त अनुदान और अनुसंधान के लिए प्रोत्साहन देने में अत्यधिक देरी के अलावा वैश्विक अनुसंधान संस्थानों के साथ ज्ञान साझा करने के लिए अपर्याप्त मंच अनुसंधान के क्षेत्र में देश के पिछड़ने के कारण हैं।
इंफोसिस के संस्थापक ने कहा कि आविष्कार या नवाचार के क्षेत्र में सफलता के लिए धनराशि प्राथमिक संसाधन नहीं है। उन्होंने देश के स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षा का स्तर सुधारने की भी वकालत की।
इंफोसिस पुरस्कार 2022 के विजेता हैं: इंजीनियरिंग और कम्प्यूटर विज्ञान- सुमन चक्रवर्ती; मानविकी- सुधीर कृष्णास्वामी; जीवन विज्ञान- विदिता वैद्य; गणितीय विज्ञान- महेश काकड़े; भौतिक विज्ञान- निसीम कानेकर और सामाजिक विज्ञान- रोहिणी पांडे शामिल हैं।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta