Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

मोदी सरकार दावों में मस्त, अर्थव्यवस्था पस्त : रमेश

Advertiesment
हमें फॉलो करें मोदी सरकार दावों में मस्त, अर्थव्यवस्था पस्त : रमेश
नई दिल्ली , रविवार, 16 अप्रैल 2017 (08:32 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने नरेन्द्र मोदी सरकार पर बड़े-बड़े दावे करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि अर्थव्यवस्था लगातार कमजोर हो रही है और सरकार को इसकी कोई चिंता नहीं है।
 
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पार्टी मुख्यालय में नियमित ब्रीफिंग में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय और ऊर्जा मंत्रालय द्वारा हाल में ही जारी आंकड़े सरकार के दावों की कलई खोलते हैं।
 
उन्होंने कहा कि बैंक उधारी पिछले 60 साल में न्यूनतम स्तर पर है। बिजली उत्पादन 15 साल में सबसे कम है। निवेश घट रहा है जबकि मोदी सरकार अर्थव्यवस्था की सुनहरी तस्वीर पेश करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को यह समझ लेना चाहिए अगर 'ऑफ टेक नहीं होगा तो टेक ऑफ' भी नहीं होगा।
 
भारतीय रिजर्व बैँक के आंकड़ों के हवाले से उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2016-17 में बैंक उधारी 5 प्रतिशत रही है, जो 60 साल में सबसे कम है। इसी अवधि में हाल के वर्षों के मुकाबले निवेश घटा है। 
 
उन्होंने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बिजली उत्पादन संयंत्र की उत्पादन क्षमता का इस्तेमाल महज 60 प्रतिशत रहा है। यह पिछले 15 साल में सबसे कम है। मोदी सरकार रोजगार सृजन का दावा करती है लेकिन श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2016-17 में संगठित क्षेत्र में महज 4.4 लाख नौकरियों का सृजन हुआ है।
 
रमेश ने कहा कि मोदी और उनके मंत्री नित नए दावे और भ्रामक बयानबाजी करते हैं। सरकार डिजिटल भुगतान और लेसकैश पर जोर दे रही है लेकिन आरबीआई के आंकड़ों का इशारा है कि लोगों के पास कैश नहीं पहुंच रहा है। निवेश घटने से लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है। बिजली की मांग नहीं होने के कारण उत्पादन संयंत्रों की पूरी क्षमता का इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार के विभिन्न विभागों के ये आंकड़े और सरकार के दावों में कोई मेल नहीं है। कहीं कुछ भयंकर गड़बड़ी हो रही है जिसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है और उसे इसे लेकर कोई चिंता भी नहीं है।
 
कांग्रेस नेता ने कहा कि निवेश का घटना चिंता का विषय है और यह अर्थव्यवस्था के लिए बहुत गंभीर घटनाक्रम है। सरकार को इसके लिए तुरंत कदम उठाने चाहिए और इस भ्रामक स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए।
 
रमेश ने कहा कि सरकार ने वस्तु एवं सेवा प्रणाली को 1 जुलाई से लागू करने की योजना बनाई है लेकिन यह जिस तरह से लागू किया जा रहा है उससे बहुत दिक्कतें और परेशानी सामने आने वाली है। जीएसटी का पूरा असर सामने आने में एक से डेढ़ वर्ष का समय लगेगा। सरकार के पास इस प्रभाव से निपटने की कोई कार्ययोजना नहीं है। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आप ने चुनाव आयोग को बताया धृतराष्ट्र, केजरीवाल के खिलाफ एफआईआर