प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को संकेत दिया कि उनकी सरकार एक ऐसा कानूनी ढांचा तैयार कर सकती है जिसके तहत डॉक्टरों को उपचार के संबंध में जेनेरिक दवा सुझाने होंगे, जो ब्रांडेड दवाओं की तुलना में सस्ती होती हैं।
मोदी ने कहा कि उनकी सरकार 15 वर्ष के अंतराल के बाद स्वास्थ्य नीति लाई है और दवाओं एवं स्टेंट के मूल्य की सीमा तय की है जिससे कुछ दवा कंपनियों में नाराजगी देखी गई है। यहां एक धर्मार्थ अस्पताल के उद्घाटन के मौके पर उन्होंने अमीर लोगों से आगे आने और जरूरतमंद लोगों के स्वास्थ्य देखरेख की दिशा में योगदान देने का आग्रह करते कहा कि इस देश को अकेले राजाओं और नेताओं ने नहीं बनाया है बल्कि जनशक्ति के कारण इसका निर्माण हुआ है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि डॉक्टर उपचार के दौरान इस तरह से पर्चे पर लिखते हैं कि गरीब लोग उनकी लिखावट को नहीं समझ पाते हैं और लोगों को निजी स्टोर से अधिक कीमत पर दवाएं खरीदनी पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसा कानूनी ढांचा लाएंगे जिसके तहत अगर कोई डॉक्टर पर्चा लिखता है तब उन्हें ऐसे लिखना होगा कि मरीज जेनेरिक दवाएं खरीद सकें और उसे कोई अन्य दवा नहीं खरीदनी पड़े।
मोदी ने कहा कि हमारे देश में डॉक्टर कम हैं, अस्पताल कम हैं और दवाएं महंगी हैं। अगर किसी मध्यम वर्ग का कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तब उसके परिवार की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाती है। वह मकान नहीं खरीद सकता है, अपनी बेटी का विवाह नहीं कर सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि सभी को कम कीमत में स्वास्थ्य सेवाएं सुगम हो सके। (भाषा)