नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि जन-धन योजना में गरीबों द्वारा करीब 65 हजार करोड़ रुपया बैंकों में जमा हुआ है। एक प्रकार से यह गरीब की ये बचत है, जो आने वाले दिनों में उसकी ताकत है।
इस योजना ने समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को देश की आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा बनाया है और उन्हें वित्तीय सुरक्षा महसूस कराने के साथ-साथ यह बोध भी कराया है कि उनकी बचत बच्चों के काम आ सकती है।
मोदी ने रेडियो पर प्रसारित अपने कार्यक्रम 'मन की बात' में मुंबई में रहने वाली तथा हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी के इंडिया रिसर्च सेंटर में कार्यरत डॉ. अनन्या अवस्थी के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि जन-धन योजना सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के वित्तीय विशेषज्ञों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है।
3 साल पहले 28 अगस्त 2014 को इस अभियान की शुरुआत की गई थी और इस अवधि में 30 करोड़ नए परिवारों को इस योजना से जोड़कर उनके बैंक खाते खोले गए। यह संख्या कई देशों की कुल आबादी से भी अधिक है।
डॉ. अवस्थी ने बतौर शोधकर्ता वित्तीय समावेश में दिलचस्पी दिखाते हुए प्रधानमंत्री से पूछा था कि 2014 में जन-धन योजना के शुरू होने के बाद क्या आप यह कह सकते हैं कि 3 साल बाद भारत वित्तीय रूप से अधिक सुरक्षित और मजबूत हो गया है और इससे हुआ सशक्तीकरण और लाभ गांवों तथा छोटे शहरों की महिलाओं, किसानों और कामगारों को मिला है?
प्रधानमंत्री ने इसका उत्तर देते हुए कहा कि मुझे यह देखकर खुशी होती है कि मात्र 3 सालों में समाज के हाशिए पर खड़ा व्यक्ति भी देश की आर्थिक व्यवस्था का हिस्सा बन गया है। उसका नजरिया बदल गया है और वह अब बैंक जाने लगा है। उसने बचत शुरू कर दी है और उसे वित्तीय सुरक्षा महसूस होने लगी है।
उन्होंने कहा कि जब किसी के हाथ में, जेब में या घर में रुपए होते हैं, तो वह अपव्यय करने लगता है, लेकिन उनमें अब विवेक जागृत हुआ है और उन्हें यह बोध होने लगा है कि उनकी बचत बच्चों के काम आ सकती है। इतना ही नहीं, जो गरीब अपने जेब में रुपे देखता है तो अमीरों की बराबरी में अपने आपको पाता है कि उनके जेब में अगर क्रेडिट कार्ड है, तो मेरी जेब में भी रुपे है। इससे उसे सम्मान का भाव महसूस करता है। (वार्ता)