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ईमानदारी पर शक से गरीब को पहुंचती है चोट : मोदी

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, रविवार, 27 अगस्त 2017 (16:30 IST)
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से गरीबों के प्रति व्यवहार में बदलाव लाने का आग्रह करते हुए रविवार को कहा कि मेहनतकश लोगों और गरीब को उस वक्त ज्यादा चोट पहुंचती है, जब उनकी ईमानदारी पर शक किया जाता है।
 
मोदी ने आकाशवाणी पर प्रसारित अपने मासिक कार्यक्रम 'मन की बात' में कहा कि कई बार लोगों का व्यवहार गरीबों के प्रति उन्हें पीड़ा पहुंचाने वाला होता है। घर के आस-पास कोई सामान बेचने के लिए आता है, फेरी लगाने वाला आता है, छोटे दुकानदार से, सब्जी बेचने वालों, ऑटो रिक्शा वाले जैसे किसी मेहनतकश व्यक्ति के साथ जब संबंध आता है तो हम उससे मोलभाव करने लग जाते हैं। 2 रुपए कम करो, 5 रुपए कम करो। हम ही लोग बड़े रेस्टॉरेंट में खाना खाने जाते हैं तो बिल देखते भी नहीं हैं, धड़ाम से पैसे दे देते हैं। शोरूम में साड़ी खरीदने जाएं, कोई मोलभाव नहीं करते हैं लेकिन किसी गरीब से अपना नाता आ जाए तो मोलभाव किए बिना रहते नहीं हैं। 
 
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब गरीब और मेहनतकश लोगों से हम मोलभाव करके उन्हें शक की निगाह से देखने लगते हैं तो हम यह नहीं सोचते हैं कि उनके मन पर क्या गुजरती होगी। उन्होंने कहा कि सवाल 2 रुपए, 5 रुपए का नहीं है। 2 रुपए या 5 रुपए से आपके जीवन में कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन आपकी यह छोटी-सी आदत उसके मन को कितना गहरा धक्का लगाती होगी, कभी ये सोचा है? उसके लिए सवाल 2 रुपए या 5 रुपए का नहीं है। उसके हृदय को चोट पहुंचती है कि वह गरीब है इसलिए आपने उसकी ईमानदारी पर शक किया है।
 
प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी पुणे की अर्पणा द्वारा फोन करके उन्हें अपने अनुभव बताने के बाद की। मोदी ने अपना अनुभव उनके साथ बांटने के लिए महिला को धन्यवाद दिया और कहा कि हृदय छूने वाले इस फोन संदेश के लिए वे उनके आभारी हैं। 
 
अर्पणा ने मोदी को भेजे अपने फोन संदेश में कहा था- 'प्रधानमंत्रीजी, मैं पूना से अर्पणा बोल रही हूं। मैं अपनी एक सहेली के बारे में बताना चाहती हूं। वो हमेशा लोगों की मदद करने की कोशिश करती है लेकिन उसकी एक आदत देखकर मैं हैरान हो जाती हूं। मैं एक बार उसके साथ शॉपिंग करने मॉल गई थी। एक साड़ी पर उसने 2,000 रुपए बड़े आराम से खर्च कर दिए और पीजा पर 450 रुपए, जबकि मॉल तक जाने के लिए जो ऑटो लिया था, उस ऑटो वाले से बहुत देर तक 5 रुपए के लिए वह मोलभाव करती रही। 
 
अर्पणा ने आगे कहा कि वापस लौटते हुए रास्ते में सब्जी खरीदी और हर सब्जी पर फिर से मोलभाव करके 4-5 रुपए बचाए। मुझे बहुत बुरा लगता है। हम बड़ी-बड़ी जगह एक बार भी बिना पूछे बड़े-बड़े भुगतान कर देते हैं और हमारे मेहनतकश भाई-बहनों से थोड़े से रुपयों के लिए झगड़ा करते हैं। उन पर अविश्वास करते हैं। आप अपनी 'मन की बात' में इस बारे में जरूर बताएं।
 
मोदी ने उम्मीद जताई कि इस अनुभव को पढ़ने के बाद उन्हें विश्वास है कि इससे कई लोग चौंक गए होंगे, चौकन्ने भी हो गए होंगे और हो सकता है कि उन्होंने आगे से ऐसी गलती न करने का मन में तय भी कर लिया हो। (वार्ता)

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