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भ्रष्टों की रातों की नींद उड़ी : मोदी

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गाजीपुर (उत्तरप्रदेश) , सोमवार, 14 नवंबर 2016 (15:49 IST)
गाजीपुर (उत्तरप्रदेश)। नोटों को अमान्य करने के अपने फैसले को गरीबों का समर्थक बताते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को विपक्ष, विशेषकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि भ्रष्टों की रातों की नींद उड़ गई है और गरीब आदमी चैन की नींद सो रहा है।
मोदी ने यहां भाजपा की 'परिवर्तन यात्रा' में कहा कि विमुद्रीकरण के बाद गरीब आदमी चैन की नींद सो रहा है जबकि अमीर नींद की गोलियों के लिए चक्कर काट रहा है। गरीबों के समक्ष आ रहीं समस्याओं के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराने पर विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आम आदमी को पेश आ रही समस्याओं को वे बेहतर समझते हैं।
 
उन्होंने कहा कि आप (कांग्रेस) बयान जारी करते हैं। मैं गरीबों की नब्ज समझता हूं। विपक्ष को फटकार लगाते हुए मोदी ने कहा कि विमुद्रीकरण के बाद कुछ राजनीतिक पार्टियां परेशान हैं... उन्हें नोटों की मालाएं पहनने की आदत थी... अब उनके पास केवल एक ही विकल्प बचा है कि 500 और 1,000 के नोटों को रद्दी की टोकरी में डाला दें। 
 
मोदी ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि कुछ लोगों के चेहरों पर मुस्कान है। वे यहां तक कहते हैं कि मोदीजी आपने एक अच्छा काम किया है, लेकिन वे अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को मेरे फैसले का विरोध करने को उकसाते हैं। उनका परोक्ष इशारा बसपा, सपा और आप की तरफ था जिन्होंने इस कदम की आलोचना की है। 
 
उन्होंने कहा कि इस कदम से बहुत शक्तिशाली लोगों पर असर पड़ेगा लेकिन वे गरीबों की खातिर लड़ने के लिए तैयार हैं। मुझे पता है कि मुझे बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि जिन लोगों के पास भारी पैसा है वे बड़े ताकतवर लोग हैं लेकिन मैंने यह लड़ाई गरीब के लिए छेड़ी है। 
 
मोदी ने नोटबंदी के फैसले पर जनसभा में लोगों को समझाते हुए कहा कि घर में जब शादी हो और बारात आने वाली हो तो अपना भी दिल करता है कि घर की दीवारों पर अच्छा कलर (पुताई) लगाएं, लेकिन उसकी गंध 10 दिन तक रहती है। हम दीवार में गंध के बावजूद अच्छे कलर लगाते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि कोई भी काम करें, थोड़-बहुत तकलीफ होती है लेकिन इरादा नेक होना चाहिए। जो मैं कर रहा हूं, देश की भलाई के लिए कर रहा हूं। कुछ राजनीतिक दल परेशान हैं। उन्हें चिंता सता रही है कि अब क्या करें? नोटों की मालाएं कहां ले जाएं? मोदी ने एक साधारण से उदाहरण से अपनी बात समझाई कि मध्यप्रदेश में किसी सरकारी बाबू के घर में आयकर वाले गए तो बिस्तर के नीचे से 3 करोड़ रुपए निकल आए। मैं एक-एक घर में खोजने जाऊंगा तो मुझे कितने साल लगेंगे? एक जगह देखूंगा तो दूसरी जगह छिपा लेगा और दूसरी जगह देखूंगा तो तीसरी जगह छिपा देगा इसलिए मैंने तय किया कि 500 और 1,000 के नोट कागज की रद्दी में डालो। 
 
उन्होंने कहा कि अब गरीब और अमीर समान हो गए हैं। जनता को इस फैसले से जो तकलीफ हो रही है, उसकी उन्हें पीड़ा है। आपकी तकलीफ कम हो, इसके लिए जितना करना पड़े, करता रहूंगा लेकिन कुछ लोगों को तो जरा ज्यादा ही तकलीफ हो रही है। मोदी बोले कि ईमानदारी के नाम पर देश की जनता को गुमराह करने वाले नेताओं से वे कहना चाहते हैं कि 500 और 1,000 के नोट यानी कालाधन जाना चाहिए और बेईमानी जानी चाहिए इसलिए इसे हटाओ।
 
मोदी ने कहा कि जनता को इस समय जो तकलीफ हो रही है, उसे दूर करने के लिए जितनी उनके पास बुद्धि है, उसका इस्तेमाल कर तकलीफ को दूर करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कहती है कि जनता को तकलीफ हो रही है। जनता की चिंता करने वाली कांग्रेस ने 19 महीने आपातकाल लगाकर इस देश को जेलखाना बना दिया था। कोई बोले तो उसे जेल के दरवाजे दिखा दिए जाते थे। कांग्रेस ने गद्दी बचाने के लिए देश को जेलखाना बनाया था जबकि मैंने गरीबों की भलाई और भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए ये कदम उठाया है। 
 
मोदी बोले कि मेरे निर्णय कड़क हैं। जब छोटा था तब गरीब लोग मुझसे कहते थे कि चाय जरा कड़क बनाना। गरीब को कड़क चाय ज्यादा अच्छी लगती है। मैंने निर्णय कड़क लिया। अब गरीब को तो कड़क चाय भाती है लेकिन अमीर को नहीं। प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस वाले पूछते हैं कि 500 और 1,000 रुपए के नोट क्यों बंद किए? साथ ही व्यंग्य किया, मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं कि जब आपकी सरकार थी तो आपने भी चवन्नी बंद कर दी थी तब कौन-सा कानून था, मुझे बताओ। किससे पूछा था। आप चवन्नी से आगे चल नहीं पा रहे। आपने अपनी बराबरी का काम किया और हमने हमारी बराबरी का काम किया। 
 
उन्होंने कहा कि सीमापार से हमारे दुश्मन नकली नोट छापकर हमारे देश में भेज रहे हैं। दुश्मनों की इस चाल को खत्म करने के लिए ही नोटबंदी का फैसला किया। इस फैसले का विरोध करने वाले नेताओं से मैं सवाल पूछना चाहता हूं कि आतंकवाद और नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए जाली नोट का खात्मा होना चाहिए या नहीं? 500 और 1,000 के नोट पर अगर हमला न बोलता तो क्या ये जाली नोट खत्म होते? 
 
मोदी ने कहा कि जिन महिलाओं ने कड़ी मेहनत कर पाई-पाई जोड़कर धन जमा किया है, उस पर एक भी सरकारी अधिकारी आंख नहीं लगा पाएगा। आप ढाई लाख रुपए बैंक में जाकर जमा कीजिए। आयकर रिकॉर्ड में ऐसी मां और बहन को कोई पूछेगा भी नहीं कि ढाई लाख रुपए कहां से आया लेकिन जिसके पास ढाई करोड़ रुपए हैं, वे सोचें। 
 
उन्होंने सवाल किया कि बिस्तर के नीचे जो करोड़ों रुपए जमा करते हैं, क्या उन्हें छोड़ दिया जाए? इन दिनों आपने देखा होगा कि रात को गाड़ियां निकलती हैं। लोग देखते हैं कि कहीं सीसीटीवी कैमरा तो नहीं लगा है। चोरी-छिपे मुंह पर कपड़ा बांधकर कूड़े के ढेर में नोट फेंककर भाग जाते हैं। जो नोट फेंकने आ रहे हैं, अगर हाथ लग गए तो उन्हें हिसाब देना होगा। मोदी ने कहा कि वे गरीबों का धन लुटने नहीं देंगे। पहले लोग गंगाजी में दूध, शहद, सिक्के आदि डालकर नमन करते थे लेकिन आजकल नोट डाल रहे हैं। गंगा में 500 और 1,000 के नोट बह रहे हैं।
 
साथियों, गंगा में नोट बहाकर भी आपका पाप धुलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि जिनके खजाने भरे हैं, वे बड़े ताकतवर होते हैं, इतने ताकतवर कि सरकारों को खरीद लें। वे ऊपर-नीचे करने की ताकत रखते हैं, भविष्य को तबाह करने की ताकत रखते हैं। लेकिन मुझे बताइए देशवासियों, क्या मुझे ऐसे लोगों से डरना चाहिए? क्या ईमानदारी का रास्ता छोड़ दूं? मुझे आपका (जनता का) आशीर्वाद है इसलिए मैंने ये लड़ाई मोल ली है। (भाषा)


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