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मोदी को जरूरत है भरोसेमंद रक्षामंत्री की, कौन होगा?

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, शनिवार, 15 अप्रैल 2017 (19:30 IST)
नई दिल्ली। भाजपा की राजनीतिक मोर्चे पर अभूतपूर्व सफलता के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जिस तरह के रक्षामंत्री की जरूरत है, वह उन्हें क्यों नहीं मिल पा रहा है?
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक रक्षा मंत्री की तलाश है, लेकिन कोई ऐसा नेता नहीं मिल रहा है जो उनकी कसौटी पर खरा उतर सके। सूत्रों का कहना है कि आजकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने करीबी लोगों से यह तक कह देते हैं कि दिल्ली आने से पहले उन्हें इल्म नहीं था कि यहां प्रतिभा की इतनी कमी है।
 
पिछली बार भी रक्षामंत्री के लिए गोवा से मनोहर पर्रिकर को बुलाया गया था, लेकिन गोवा के विधानसभा चुनाव में सीटों का आंकड़ा कुछ ऐसा बैठा कि उन्हें वापस वहीं भेजना पड़ गया। इसके बाद से रक्षा मंत्रालय फिर से अरुण जेटली के पास है। कहा जा रहा है कि जब मंत्रिमंडल का अगला फेरबदल होगा तो बहुत मुमकिन है कि अरुण जेटली सिर्फ रक्षामंत्री रह जाएं और वित्त मंत्रालय को नया मंत्री मिले।
 
बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री नए रक्षामंत्री के लिए कई नामों पर विचार कर चुके हैं लेकिन उन्हें पार्टी में ऐसा कोई सांसद नहीं मिला जो इस प्रतिष्ठित पद को ठीक से संभाल सके। कहा जाता है कि दिल्ली से बाहर के दो नेताओं का मन टटोलने का जिम्मा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को दिया था। 
 
अमित शाह ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से उनकी राय जानी लेकिन दोनों ने ही बड़ी ही शालीनता से ऐसा करने में अपनी असमर्थता जता दी।
 
जानकार सूत्रों का कहना है कि संघ की आंतरिक रिपोर्ट कहती है कि अगर मध्यप्रदेश से शिवराजसिंह चौहान को हटाया गया तो अगले साल होने वाले चुनाव में वहां पार्टी गंभीर संकट में फंस सकती है। मनोहर पर्रिकर को हटाकर नरेंद्र मोदी ने एक रिस्क लिया था, जिसका खामियाजा भाजपा को गोवा के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा। 
 
संघ के कुछ नेताओं की राय है कि जो गलती उस वक्त हुई थी उसे फिर से मध्यप्रदेश या महाराष्ट्र में दोहराना समझदारी नहीं होगी, लेकिन मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का राजनीतिक प्रबंधन भाजपा के लिए बहुत आसान नहीं है। महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार को शिवसेना के सुप्रीमो उद्धव ठाकरे हर हफ्ते ही चुनौती देते रहते हैं। 
 
मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले दिग्विजयसिंह, कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के खेमों के एक साथ आने की संभावना जताई जा रही थी जिसका सीमित असर भी देखने को मिला है। इसलिए देवेंद्र फडणवीस और शिवराज को दिल्ली बुलाने का इरादा फिलहाल भाजपा ने छोड़ दिया है।
 
पर केंद्र सरकार में रक्षामंत्री का पद बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। रक्षामंत्री सुरक्षा मामले की कैबिनेट समिति के स्थायी सदस्य होते हैं। युद्ध जैसे हालात हों या सर्जिकल स्ट्राइक, रक्षा मंत्री को सारी अतिगोपनीय जानकारियां पहले से ही पता रहती हैं। इसलिए हर प्रधानमंत्री चाहता है कि रक्षामंत्री उसके भरोसे का व्यक्ति ही हो। 
 
यह बात मात्र एक संयोग नहीं है कि पिछले सरकारों को सबसे ज्यादा बदनामी रक्षा संबंधी घोटालों के चलते मिली। कांग्रेस की केन्द्र में सरकार इस बात का सबूत रही है कि जब रक्षा मंत्री खुद ईमानदार रहा हो तब भी घोटाले होते रहे और सामने आते रहे।   
 
एके एंटनी रक्षामंत्री के तौर पर खुद ईमानदार रहे लेकिन वे भी इतने सक्षम नहीं थे कि अपने विभाग में ‍सभी तरह की चोरी या ऊपरी प्रभावशाली लोगों की चोरी या घूसखोरी पर लगाम लगा सकें। ईमानदारी और प्रशासनिक क्षमता के अलावा यह भी जरूरी होगा कि वह उस जटिल व्यवस्था से भी भलीभांति तालमेल बैठा सके या उनपर काबू पा सके जोकि सैन्य क्षमताओं को प्रभावित करती हैं।
 
फिलहाल प्रधानमंत्री को अपनी पार्टी में ऐसा कोई नेता नहीं दिख रहा जो इन सभी आवश्यकताओं पर खरा उतरता हो और उनका विश्वासपात्र भी हो. इसलिए देश को नया रक्षा मंत्री मिलने में वक्त लग रहा है। वैसे भी प्रधानमंत्री कई विभागों का दायित्व तो अनौपचारिक रूप से संभालते ही हैं लेकिन रक्षा मंत्री जैसा पद के लिए ऐसा व्यक्ति चाहिए जोकि प्रधानमंत्री की आशाओं पर खरा उतर सके और उनके के लिए बेहद विश्वासपात्र भी। अब ऐसे आदमी के मिलने का इंतजार किया जा रहा है।

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