प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीरा बेन का आज सुबह 100 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है। मां की निधन की सूचना खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 6.02 मिनट पर ट्वीट कर लिखा कि “शानदार शताब्दी का ईश्वर चरणों में विराम...मां में मैंने हमेशा उस त्रिमूर्ति की अनुभूति की है, जिसमें एक तपस्वी की यात्रा, निष्काम कर्मयोगी का प्रतीक और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध जीवन समाहित रहा है। मैं जब उनसे 100वें जन्मदिन पर मिला तो उन्होंने एक बात कही थी, जो हमेशा याद रहती है कि કામ કરો બુદ્ધિથી, જીવન જીવો શુદ્ધિથી यानि काम करो बुद्धि से और जीवन जियो शुद्धि से”।
मां के निधन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली से गांधीनगर पहुंचे और मां की पार्थिक देह को कंधा देने के साथ अंतिम संस्कार में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नम आंखों के साथ प्यारी मां हीराबेन की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी। अपना पूरा जीवन सादगी से जीने वाली हीरा बेन के अंतिम संस्कार में परिवार के सदस्य ही शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मां हीरा बेन से बेहद लगाव था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जीवन में मां हीराबेन एक प्रेरणा पुंज थी। मां हीराबेन के 100 वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा था कि “वो मुझे बार-बार याद दिलाती हैं कि मेरी चिंता मत किया करो, तुम पर बड़ी जिम्मेदारी है।
मां के इन्हीं शब्दों को आत्मसात कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पुत्र का कर्तव्य निभाते हुए मां को मुखाग्नि देने के बाद अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ गए। मां को अंतिम विदाई देने के बाद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सीधे गांधीनगर राजभवन पहुंचे और अपने पहले से तय पश्चिम बंगाल के हावड़ा में तय कार्यक्रम में वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए शामिल हुए।
दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी अपनी मां से मिलने के लिए गांधीनगर स्थित घर पहुंचते थे तो मां उनके हाथों में गीता देती थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सफलता के पीछे मां हीराबेन ही थी। 2002 में दिए एक इंटव्यू मेंं मां हीरा बेन ने बेटे के प्रधानमंत्री बनने की बात भी कही थी।
खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मां के 100 वें जन्मदिन पर अपने ब्लॉग में लिखा था कि “मेरी मां का मुझ पर बहुत अटूट विश्वास रहा है। उन्हें अपने दिए संस्कारों पर पूरा भरोसा रहा है। मुझे दशकों पुरानी एक घटना याद आ रही है। तब तक मैं संगठन में रहते हुए जनसेवा के काम में जुट चुका था। घरवालों से संपर्क ना के बराबर ही रह गया था। उसी दौर में एक बार मेरे बड़े भाई, मां को बद्रीनाथ जी, केदारनाथ जी के दर्शन कराने के लिए ले गए थे। बद्रीनाथ में जब मां ने दर्शन किए तो केदारनाथ में भी लोगों को खबर लग गई कि मेरी मां आ रही हैं।
उसी समय अचानक मौसम भी बहुत खराब हो गया था। ये देखकर कुछ लोग केदारघाटी से नीचे की तरफ चल पड़े। वो अपने साथ में कंबल भी ले गए। वो रास्ते में बुजुर्ग महिलाओं से पूछते जा रहे थे कि क्या आप नरेंद्र मोदी की मां हैं? ऐसे ही पूछते हुए वो लोग मां तक पहुंचे। उन्होंने मां को कंबल दिया, चाय पिलाई। फिर तो वो लोग पूरी यात्रा भर मां के साथ ही रहे। केदारनाथ पहुंचने पर उन लोगों ने मां के रहने के लिए अच्छा इंतजाम किया। इस घटना का मां के मन में बड़ा प्रभाव पड़ा। तीर्थ यात्रा से लौटकर जब मां मुझसे मिलीं तो कहा कि “कुछ तो अच्छा काम कर रहे हो तुम, लोग तुम्हें पहचानते हैं”।
अब इस घटना के इतने वर्षों बाद, जब आज लोग मां के पास जाकर पूछते हैं कि आपका बेटा पीएम है, आपको गर्व होता होगा, तो मां का जवाब बड़ा गहरा होता है। मां उन्हें कहती है कि जितना आपको गर्व होता है, उतना ही मुझे भी होता है। वैसे भी मेरा कुछ नहीं है। मैं तो निमित्त मात्र हूं। वो तो भगवान का है।
मां के बेटे के प्रति लगाव और प्रेम और बेटे का मां के प्रति प्यार हम शब्दों में नहीं व्यक्त कर सकते है। मां का निधन जीवन की ऐसी अपूर्णनीय क्षति होती है जिसको कभी भी भरा नहीं जा सकता। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मां को लेकर अपनी भावना व्यक्त करते हुए लिखा था कि “मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है। जीवन की ये वो भावना होती जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया होता है। दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है”।