मुंबई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इच्छा है कि करेंसी नोटों को छापने में रिजर्व बैंक देश में तैयार कागज और स्याही का इस्तेमाल करे और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के हिस्से के तौर पर इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक तिथि निश्चित करे।
यहां रिजर्व बैंक की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर उन्होंने कहा कि आज हम आरबीआई की 80वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। क्या हम कोई ऐसी तिथि तय नहीं कर सकते कि जो भी नोट देश में छापे जा रहे हैं उसमें भारतीय कागज और स्याही का इस्तेमाल हो। यह विडंबना है कि जिन महात्मा गांधी ने स्वदेशी के लिए लड़ाई लड़ी, उनकी फोटो आयातित कागज पर छपती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मेक इन इंडिया की शुरुआत यहां से होनी चाहिए। मेरा विश्वास है कि हम यह कर सकते हैं। बाद में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एसएस मूंदड़ा ने कहा कि करेंसी नोट का कागज तैयार करने वाले कारखाने पर काम अंतिम चरण में है और जल्द ही देश में देश के भीतर तैयार कागज पर छपे नोट प्रसारित होंगे।
मूंदड़ा ने कहा कि कारखाने का निर्माण अंतिम चरण में है और हमें पूरा विश्वास है कि अगले कुछ महीनों में रिजर्व बैंक नोट तैयार करना शुरू कर देगा।
रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध कराई गई सूचना के मुताबिक भारत हर साल 2,000 करोड़ करेंसी नोट छापता है और इसकी 40 प्रतिशत लागत कागज और स्याही के आयात में जाती है। केंद्रीय बैंक जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों से कागज का आयात करता है। (भाषा)