गांधीनगर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आलोचकों को आड़े हाथ लेते हुए सोमवार को कहा कि जब पूरी दुनिया इस बात की चर्चा कर रही थी कि भारत कोविड-19 के खिलाफ टीकाकरण के बाद अपने नागरिकों को तत्काल प्रमाणपत्र दे रहा है, तब कुछ लोग केवल ये बातें कर रहे थे कि प्रमाणपत्रों पर उनकी तस्वीर क्यों है?
प्रधानमंत्री ने यहां 'डिजिटल इंडिया वीक 2022' का उद्घाटन करने के बाद अपने संबोधन में पूर्व वित्तमंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम का नाम लिए बिना उनकी भी आलोचना की जिन्होंने यूपीआई जैसे ऑनलाइन भुगतान के तरीकों का संसद में विरोध किया था। मोदी ने कहा कि 'डिजिटल इंडिया' कार्यक्रम ने पिछले 8 साल में देश में जो क्षमता पैदा की है, उसने कोविड-19 महामारी के दौरान हमें बहुत मदद की। हम इसके कारण दुनिया के सबसे बड़े कोविड-19 टीकाकरण और राहत अभियान चलाने में सफल रहे।
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान तकनीक ने समाज के वंचित तबकों को राहत पहुंचाई। हमने महामारी के दौरान महिलाओं, किसानों, श्रमिकों के बैंक खातों में करोड़ों रुपए पहुंचाए। 'एक राष्ट्र एक राशन कार्ड' की मदद से हमने सुनिश्चित किया कि देश की 80 करोड़ आबादी को मुफ्त राशन बंटे।
मोदी ने कहा कि भारत की डिजिटल तकनीक से संचालित कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को दुनियाभर में प्रशंसा मिली। इतनी बड़ी जनसंख्या को टीके की हर खुराक से बनने वाले रिकॉर्ड से दुनिया अभिभूत थी। अन्य देशों में लोगों को टीकों के प्रमाणपत्र मिलने में समस्या आई लेकिन भारत में जब किसी व्यक्ति ने खुराक ली तो उसे उसके मोबाइल फोन पर तुरंत प्रमाणपत्र मिल गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया इस बात की चर्चा कर रही है कि हमने लोगों के टीका लगते ही उन्हें कोविड-19 टीकाकरण प्रमाणपत्र प्रदान करने में कैसे सफलता प्राप्त की, लेकिन यहां (भारत में) कुछ लोगों का ध्यान केवल इस बात पर केंद्रित था इन प्रमाणपत्रों पर मोदी की तस्वीर क्यों है?
कोविड-19 प्रमाणपत्रों पर प्रधानमंत्री की तस्वीर को लेकर कई लोगों ने भाजपा नीत राजग सरकार की आलोचना की। इस बारे में सोशल मीडिया पर मीम और चुटकुले भी देखे गए। केरल उच्च न्यायालय में तो एक याचिका दाखिल कर प्रमाणपत्रों में प्रधानमंत्री की तस्वीर होने पर सवाल उठाया गया। मोदी ने संभवत: पहली बार टीका प्रमाणपत्रों पर तस्वीर के विषय पर कुछ कहा है।
उन्होंने यूनीफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) की लोकप्रियता का उल्लेख करते हुए कहा कि यह लोगों के बीच काफी सफल रहा। पहले कुछ बड़े स्टोरों में कार्ड स्वैप करके डिजिटल भुगतान की सुविधा थी लेकिन अब मुझे बताया गया कि बिहार में एक भिखारी ने भी अपना क्यूआर कोड लिया है और वह पैसे डिजिटल तरीके से लेता है।
प्रधानमंत्री ने डिजिटल भुगतान प्रणाली पर संसद में हुए उनकी सरकार के विरोध को याद करते हुए और परोक्ष रूप से चिदंबरम के संदर्भ में कहा कि जब हमने संसद में इस योजना को पेश किया तो एक पूर्व वित्तमंत्री ने कई मुद्दे उठा दिए। उन्होंने कहा कि लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं, वे इसका उपयोग कैसे करेंगे। वे बहुत विद्वान हैं। ज्यादा विद्वान लोगों के साथ यह दिक्कत होती है कि वे बहुत ज्यादा विश्लेषण करने लगते हैं।