नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व समुदाय का आह्वान करते हुए कहा है कि आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन से लेकर तमाम तरह की वैश्विक चुनौतियों के समाधान के लिए संवाद और विमर्श ही एकमात्र रास्ता है।
विवेकानंद केन्द्र द्वारा शनिवार को म्यांमार के यांगून में आयोजित संघर्षों से बचाव और पर्यावरण के प्रति जागरुकता के लिए वैश्विक पहल 'संवाद' के दूसरे संस्करण को दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ऐसे समय में जबकि एक-दूसरे पर निर्भर 21वीं सदी की दुनिया आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन के खतरों समेत कई तरह की वैश्विक चुनौतियों से जूझ रही है, मुझे पूरा विश्वास है कि इन सबका समाधान एशिया की सदियों पुरानी परंपरा 'संवाद' और 'विमर्श' के जरिए ही निकलेगा।
उन्होंने कहा कि विभिन्न देशों के बीच संघर्षों का बीज बोने वाले और समुदायों को बांटने वाले पूर्वाग्रहों एवं धार्मिक रुढ़ियों की गहरी जड़ों को काटने का एक मात्र मार्ग संवाद ही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह उस प्राचीन भारतीय परंपरा की देन है जो जटिल मुद्दों के समाधान के लिए बातचीत में विश्वास रखती है।
इस संदर्भ में उन्होंने भगवान राम, श्री कृष्ण, भगवान बुद्ध और भक्त प्रह्लाद जैसी भारतीय पौराणिक हस्तियों का उदाहरण पेश करते हुए कहा कि इनमें से हर किसी के कार्यों का मुख्य उद्देश्य धर्म की मूल बातों को संरक्षित करना था। यह धर्म ही है जिसने प्राचीनकाल से लेकर आधुनिककाल तक भारतीयों का अस्तित्व बचाए रखा है।
उन्होंने सौहार्दपूर्ण पर्यावरण जागरुकता का आह्वान करते हुए कहा कि हर किसी को प्रकृति का ख्याल रखना चाहिए और उसके दोहन से बचना चाहिए। उन्होंनें कहा कि अगर लोग प्रकृति का ख्याल नहीं रखेंगे तो उसका नतीजा जलवायु परिवर्तन के रूप में सामने आएगा। इसलिए मानवों का प्रकृति से जुड़ना और उसका ख्याल रखना जरुरी है। प्रकृति को सिर्फ दोहन का साधन मात्र नहीं माना जाना चाहिए। (वार्ता)