नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उनकी सरकार की कोशिशों से कालेधन का मुद्दा वैश्विक स्तर पर उठा है और अब दुनियाभर के देश इसे लेकर एक-दूसरे को सूचनाएं देने पर सहमत हो रहे हैं।
मोदी ने निजी टेलीविजन चैनल 'टाइम्स नाउ' को दिए साक्षात्कार में कालेधन को स्वदेश लाकर हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपए हस्तांतरित करने के अपने चुनावी वायदे के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस मुद्दे को राजनीतिक दलों के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आम लोगों के मन में यह घर कर गई थी कि लोग पैसे विदेशों में जमा करते हैं। इस पर संसद भी कुछ नहीं कर पा रही थी और उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बावजूद विशेष जांच दल का गठन नहीं हो रहा था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने कार्यभार संभालते ही सबसे पहले इस जांच दल का गठन किया। इसके अलावा उन्होंने पहली बार जी-20 के वैश्विक मंच पर कालेधन का मुद्दा उठाया और इसके बाद इस बारे में वैश्विक स्तर पर विचार होने लगा।
उन्होंने कहा कि कालेधन का सबसे बडा स्रोत मॉरीशस रूट को माना जाता है और उनकी सरकार ने इस पर भी काबू पाने के उपाय किए हैं। इसी के तहत मॉरीशस के साथ हुई संधि संशोधित की गई है और अब चरणबद्ध तरीके से नई संधि लागू की जा रही है। इसके बाद इस रूट से कालेधन का सृजन असंभव हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि जान-बूझकर ऋण नहीं चुकाने वाले और आर्थिक अपराध करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। देश की जनता को पूरा भरोसा है कि यह काम सिर्फ और सिर्फ मोदी ही कर सकते हैं और जान-बूझकर ऋण नहीं चुकाने तथा आर्थिक अपराधियों को कानून की ताकत दिखाई जाएगी। (वार्ता)