Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

राजग सरकार के 3 साल, महंगाई से जंग जारी...

हमें फॉलो करें राजग सरकार के 3 साल, महंगाई से जंग जारी...
, शुक्रवार, 19 मई 2017 (18:32 IST)
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने तीन साल पहले जब सत्ता संभाली थी तो खाने-पीने की जिंसों की महंगाई एक बड़ा मुद्दा था जो बीच में दालों के दाम में उछाल के साथ अधिक बड़ा मुद्दा बन गया, लेकिन महंगाई पर अंकुश के लिए लगातार उठाए गए कदमों और पिछले साल बेहतर मानसून से अधिकांश जिंसों की कीमतें अब काबू में लगती हैं।
 
सरकार ने पिछले तीन साल के दौरान दालों के दाम को काबू में रखने के लिए दालों का बफर स्टॉक बनाने और उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी वृद्धि करने सहित कई तरह के कदम उठाए  हैं। सरकार ने मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखने के लिए  मूल्य स्थिरीकरण कोष की भी शुरुआत की है।
 
पिछले तीन साल में सरकार और रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को ही अपने नीतिगत निर्णय का आधार बनाया है। इस दौरान खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल 2017 में सबसे कम रही है। मई 2014 में यह जहां 8.25 प्रतिशत के आसपास थी, वहीं 2015 में 5 प्रतिशत, मई 2016 में 5.75 प्रतिशत और अप्रैल 2017 का आंकड़ा 2.99 प्रतिशत रह गया।
 
वर्ष 2015 के उत्तरार्ध से लेकर 2016 के मध्य तक जब अरहर और उड़द दाल के दाम नई ऊंचाइयों पर थे सरकार ने 20 लाख टन दालों का बफर स्टॉक खड़ा किया। इसमें 3.79 लाख टन दलहन का आयात भी किया गया। 
 
दलहन किसानों को इसकी खेती के विस्तार के लिए प्रोत्साहित करने के वास्ते तुअर और उड़द सहित विभिन्न दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में अच्छी वृद्धि की गई। इस बीच चना दाल में अचानक तेजी का रख देखा गया। चीनी पिछले तीन साल में 30 रुपए किलो तक गिरने के बाद अभी 40-45 रुपए किलो के ईदगिर्द बनी हुई है।
 
एक आम खुदरा दुकान से की गई खरीदारी के मुताबिक, पिछले साल मई में दाल अरहर, उड़द के दाम की इस साल मई के दाम से तुलना की जाए तो इनमें क्रमश: 40 और 30 प्रतिशत गिरावट आई है लेकिन यदि इनके तीन साल पहले के खुदरा दाम से तुलना करें तो अरहर 6.5 प्रतिशत और दाल उड़द-छिल्का 15 प्रतिशत महंगी है। 
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने 26 मई 2014 को केन्द्र की सत्ता संभाली थी। मोदी सरकार के एजेंडे में आम उपभोक्ता वस्तुओं की महंगाई को काबू में रखना बड़ा मुद्दा था। इस दौरान दालों के आसमान छूते दाम ने आम आदमी को काफी परेशान किया। वर्ष 2015 के आखिरी महीनों में अरहर दाल 200 रुपए किलो तक बिकी। उड़द छिल्का भी मई 2016 में 150 रुपए किलो तक पहुंच गई। 
 
बहरहाल, अरहर दाल इस समय 80 रुपए के आसपास और उड़द छिल्का 85 रुपए किलो पर उपलब्ध है। विभिन्न ब्रांडों का पैक आटा 25 रुपए किलो से बढ़कर तीन साल में 28.50 रुपए किलो हो गया लेकिन चावल के दाम 40 प्रतिशत तक ऊंचे चल रहे हैं। चावल के दाम पर बाजार में कोई नियंत्रण नहीं दिखाई देता।
 
ये दाम एक आम खुदरा दुकान से की गई खरीदारी पर आधारित हैं, जिसमें दुकानदार का मार्जिन तुलनात्मक रूप से कम है। बिग बाजार, रिलायंस फ्रेश जैसे बड़े खुदरा स्टोरों में दाम अलग हो सकते हैं।
 
विश्लेषण के मुताबिक, मई 2014 के मुकाबले मई 2017 में खाद्य तेलों के मोर्चे पर 13 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। धारा रिफाइंड 7.70 प्रतिशत बढ़कर 130 रुप  प्रति लीटर हो गया। सरसों तेल की बोतल 13.6 प्रतिशत बढ़कर 108 रुपए हो गई। चायपत्ती का 250 ग्राम का पैकेट इस दौरान ढाई प्रतिशत घट गया। टाटा नमक 15 से बढ़कर 16 रुपए किलो हो गया। 
 
धनिया, मिर्च के 200-250 ग्राम के पैकेट का दाम 35 से 45 रुपए के बीच ही रहे। हालांकि देशी घी का दाम ब्रांड के मुताबिक अलग-अलग रहा। दूध के दाम में तीन साल में दो बार वृद्धि हुई। मदर डेयरी, अमूल दूध के दाम जुलाई 2016 और इस साल मार्च में दो-दो रुपए बढ़ाए गए।
 
बेहतर मानसून और सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि चालू फसल वर्ष में रिकॉर्ड खाद्यान्न पैदावार का अनुमान है। दलहन उत्पादन दो करोड़ टन के आंकड़े को पार करता हुआ 2.24 करोड़ टन पर पहुंचने का अनुमान है। गेहूं की रिकॉर्ड 9.74 करोड़ टन पैदावार की उम्मीद है। कुल खाद्यान्न उत्पादन 27.34 करोड़ टन होने का अनुमान है। (भाषा)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कांगो में 'इबोला' के मामले बढ़कर हुए 29