Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

एनडीटीवी तलाशी : पत्रकारों ने कहा आपातकाल जैसी स्थिति

हमें फॉलो करें एनडीटीवी तलाशी : पत्रकारों ने कहा आपातकाल जैसी स्थिति
, शुक्रवार, 9 जून 2017 (23:35 IST)
नई दिल्ली। कई वरिष्ठ पत्रकार ‘आपातकाल जैसी स्थिति’ के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए एक साथ आए। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘मीडिया का मुंह बंद करने के प्रयास हो रहे हैं।’ एनडीटीवी के संस्थापक प्रणय रॉय ने मांग की कि उनके चैनल से संबंधित मुद्दों का समयबद्ध तरीके से समाधान निकाला जाए।
 
यह प्रदर्शन यहां प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुआ और इसमें कुलदीप नैय्यर, अरुण शौरी, एचके दुआ और एस निहाल सिंह जैसे वरिष्ठ पत्रकार शामिल हुए। कुछ दिन पहले ही सीबीआई ने एक निजी बैंक को कथित तौर पर चूना लगाने के मामले में रॉय के आवास समेत तीन अन्य स्थानों पर तलाशी ली थी। एनडीटीवी ने कार्रवाई को ‘कुछ पुराने’ गलत आरोपों के आधार पर बेवजह परेशान करना बताया।
 
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ पत्रकार अरुण शौरी ने आरोप लगाया कि सरकार दो प्रमुख साधनों के जरिए मीडिया को नियंत्रित कर रही है, इसमें पहला है विज्ञापनों के जरिए ‘रिश्वत की पेशकश’ करना और दूसरा है ‘अप्रत्यक्ष तौर पर डर फैलाना।’ उन्होंने कहा, ‘अब वे तीसरा साधन इस्तेमाल कर रहे हैं जो प्रत्यक्ष रूप से दबाव बनाना है, उन्होंने एनडीटीवी के साथ जो किया वह इसी का उदाहरण है। मेरा मानना है कि आगामी महीनों में यह और बढ़ेगा।’ शौरी ने कहा, ‘मैं असहयोग का आह्वान करता हूं। उनके (सरकार की) संवाददाता सम्मेलनों का बहिष्कार कीजिए, उससे इनकार कीजिए।’ 

वरिष्‍ठ पत्रकार शेखर गुप्‍ता ने कहा, 'यह वो समय है जब हमें अपने संगठनात्मक और संस्थागत संबद्धता को भूलना होगा। आजाद प्रेस का यह वो मुद्दा है जो हमारे सभी संस्‍थानों से जुड़ा है। यह प्रेस की आजादी पर हमला ह।  कृपया खुद को कोड़े मारना बंद कीजिए। सोशल मीडिया ने हम सबको गुमराह कर दिया है। अन्‍य पेशों की तुलना में पत्रकारिता में कहीं बेहतर लोग हैं। कोई भी प्रेस्टिट्यूट नहीं है। दुर्व्‍यवहार के तूफान से न डरें।
 
उन्‍होंने कहा, 'जब इंडियन एक्‍सप्रेस के खिलाफ बड़ी संख्‍या में केस दर्ज किए गए थे तब रामनाथ गोयनका की उन मामलों को लेकर प्रतिक्रिया थी, 'इससे क्‍या फर्क पड़ता है? हमने कत्‍ल के अलावा सारे कानून तोड़े हैं।' उन्‍होंने कहा, 'मुझे उम्‍मीद है कि एनडीटीवी वही करता रहेगा जो वो कर रहा है। हमारा काम है सत्ता से सच बोलना है। हममें से कई लोग सत्ता के मेगाफोन बन गए हैं।'

वरिष्‍ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने कहा, मुझे लगता है कि वर्तमान माहौल में चुप रहना कोई विकल्‍प नहीं है. यह वो क्षण है जब हमें इतिहास में सही किनारे पर खड़ा होना होगा। इंडिया टुडे ग्रुप के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी ने कहा, मेरा दृढ़तापूर्वक कहना है कि लोकतंत्र में मीडिया की स्वतंत्रता को छीना नहीं जा सकता। उन्‍होंने कहा कि ऐसा कदम बोलने की आजादी के सिद्धांत को भी कमजोर करता है।
 
जानेमाने न्यायविद फली एस नरीमन ने कहा कि आपराधिक मामले में मुकदमे से कोई नहीं बच सकता। उन्होंने कहा, ‘लेकिन सीबीआई की छापेमारी का तरीका और हालात तथा इसके पीछे जो कथित तर्क दिया जा रहा है, इन्हें देखते हुए मुझे यह मानना पड़ रहा है कि यह सब निश्चित तौर पर प्रेस और मीडिया पर अनुचित हमला है।’ वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने पत्रकारों से आह्वान किया कि स्वतंत्र मीडिया के लिए इस जंग का वे मजबूती से सामना करें।
 
लोगों को संबोधित करते हुए प्रणय रॉय ने कहा, ‘मैं आज यहां संकल्प लेता हूं कि हम सभी आरोपों का खुलकर और पारदर्शिता से जवाब देंगे। मैं सिर्फ इतना अनुरोध कर रहा हूं कि प्रक्रिया को नियत समय में पूरा किया जाए।’ उन्होंने आरोपों को मनगढंत करार दिया और कहा, ‘राधिका और मैं, एनडीटीवी हमने काले धन का एक रुपया भी छुआ, कभी किसी को रिश्वत नहीं दी।’ एनडीटीवी के संस्थापक ने कहा कि उनकी लड़ाई सीबीआई या ईडी के खिलाफ नहीं बल्कि नेताओं के खिलाफ है जो उनके मुताबिक इन संस्थानों को बरबाद कर देना चाहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

ब्रिटेन चुनाव : टेरिजा मे का चुनावी दांव पड़ा उलटा