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बिजली कंपनियों से एनजीटी बोली, हटाओ पेड़ों से तार...

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नई दिल्ली , रविवार, 1 मई 2016 (10:14 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने पेड़ों के चारों ओर लिपटे हाईटेंशन वाले तारों को लेकर कड़ी आपत्ति जताते हुए राष्ट्रीय राजधानी में बिजली वितरण कंपनियों को निर्देश दिए हैं कि वे इन तारों को जल्दी हटाएं।
 
न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि टाटा पॉवर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड, बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड और बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में उनके लाइसेंस के तहत आने वाले क्षेत्रों के पेड़ों पर लिपटे तार उतारने के काम का जिम्मा रहेगा। यह काम अगले 20 सप्ताह में पूरा हो जाना चाहिए।
 
हरित न्यायाधिकरण ने इन कंपनियों को ये भी निर्देश दिए कि वे ऊपर से जा रहे बिजली के तारों को छू रहीं पेड़ों की शाखाओं को काटकर छोटी करने के लिए निकाय प्रशासन के साथ सहयोग करें।
 
बीते 23 मार्च को न्यायाधिकरण ने पेड़ों पर हाईटेंशन तारें लगाने के लिए बिजली वितरण कंपनियों को फटकार लगाई थी। न्यायाधिकरण ने उन्हें चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि तार नहीं हटाए गए तो उनके शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
 
एनजीटी ने सभी नगर निगमों और संबंधित विभागों को भी निर्देश दिए थे कि वे दो सप्ताह के भीतर पेड़ों की जड़ों के आसपास जमीन की सतह पर लगी कांक्रीट को हटाए जाने के अनुपालन से जुड़ी रिपोर्टें दाखिल करें।
 
एनजीटी ने पिछले साल दिल्ली अर्बन शेल्टर इम्प्रूवमेंट बोर्ड, बीएसईएस राजधानी पॉवर लिमिटेड, बीएसईएस यमुना पॉवर लिमिटेड और नॉर्थ दिल्ली पॉवर लिमिटेड को पेड़ों के चारों ओर तार लपेटने के मामले में नोटिस जारी किए थे।
 
वर्ष 2013 में एनजीटी ने नगर निकायों और दिल्ली विकास प्राधिकरण समेत सार्वजनिक प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए थे कि राष्ट्रीय राजधानी में पेड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले साइन बोर्ड, विज्ञापन, तार एवं अन्य चीजें और उनकी जड़ों के आसपास जमीन की सतह पर लगाए गए कांक्रीट को तत्काल हटाया जाए।
 
पीठ वकील आदित्य एन. प्रसाद की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पेड़ों की जड़ों के आसपास जमीन की सतह पर किए गए कांक्रीट निर्माण से उनकी जड़ें कमजोर होती हैं और अंतत: वे मर जाते हैं। (भाषा) 
 


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