नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गुरुवार को इन खबरों को लेकर राजस्थान सरकार को एक नोटिस जारी किया कि राज्य के आधा दर्जन जिलों में जाति पंचायतों के फरमान पर वित्तीय विवादों के निपटान के लिए लड़कियों की स्टाम्प पेपर पर नीलामी की जा रही है और इससे इंकार करने उनकी माताओं का बलात्कार किया जाता है।
आयोग के एक बयान के अनुसार उसने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। बयान के मुताबिक राजस्थान के मुख्य सचिव और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को चार सप्ताह के भीतर आयोग को जवाब देने को कहा गया है।
एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए एनएचआरसी ने कहा कि जब भी दो पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण को लेकर कोई विवाद होता है तो पैसे की वसूली के लिए 8 से 18 साल की उम्र की लड़कियों को नीलाम को किया जाता है।
एनएचआरसी ने कहा कि एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि नीलाम होने के बाद इन लड़कियों को उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेज दिया जाता है तथा उनका शारीरिक शोषण, प्रताड़ना एवं यौन उत्पीड़न किया जाता है। अगर यह खबर सही है, तो यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
आयोग ने इस मामले में राजस्थान के मुख्य सचिव से एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। उसने उनसे रिपोर्ट में यह भी बताने को कहा है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कार्रवाई की गई है, क्या कदम उठाए गए हैं और यदि नहीं उठाए गए तो प्रस्तावित कदम क्या हैं।
एनएचआरसी ने कहा कि रिपोर्ट में यह शामिल होना चाहिए कि कैसे राज्य सरकार ग्राम पंचायत का कामकाज संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार सुनिश्चित कर रही है ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं की गरिमा एवं मानवाधिक को प्रभावित करने वाली जाति-आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके।
एनएचआरसी ने कहा कि राजस्थान के डीजीपी को भी एक नोटिस जारी किया गया है और उनसे इस तरह के अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने के बारे में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा गया है। एनएचआरसी ने यह भी कहा कि उसने अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश शर्मा को राजस्थान के ऐसे प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने और 3 महीने के भीतर उक्त घटनाओं और वहां प्रचलित प्रथा के बारे में एक व्यापक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
Edited by: Ravindra Gupta(भाषा)