नई दिल्ली। पंचकूला (हरियाणा)। यहां स्थित एक विशेष अदालत ने समझौता ट्रेन विस्फोट मामले में बुधवार को स्वामी असीमानंद और तीन अन्य को बरी कर दिया।
वर्ष 2007 में समझौता ट्रेन विस्फोट मामले में 68 लोगों की मौत हो गई थी जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी थे।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के वकील राजन मल्होत्रा ने बताया कि अदालत ने सभी चारों आरोपियों नबा कुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिन्दर चौधरी को बरी कर दिया।
भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली ट्रेन में हरियाणा में पानीपत के निकट 18 फरवरी,2007 को उस समय विस्फोट हुआ था, जब ट्रेन अमृतसर स्थित अटारी की ओर जा रही थी।
फैसला सुनाने से पहले एनआईए के विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह ने पाकिस्तानी महिला की एक याचिका को खारिज कर दिया। न्यायाधीश ने कहा कि इस याचिका में कोई विचारणीय मुद्दे नहीं है। अपनी याचिका में महिला ने पाकिस्तान के कुछ गवाहों से पूछताछ की मांग की थी।
विस्फोट के बाद हरियाणा पुलिस ने एक मामला दर्ज किया था, लेकिन जुलाई, 2010 में जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।
एनआईए ने जुलाई 2011 में आतंकवादी हमले में कथित भूमिका के लिए 8 लोगों के खिलाफ एक आरोप-पत्र दायर किया था।
आठ लोगों में से स्वामी असीमानंद, लोकेश शर्मा, कमल चौहान और राजिन्दर चौधरी अदालत के समक्ष पेश हुए और उन्होंने सुनवाई का सामना किया।
इस हमले के कथित षडयंत्रकर्ता सुनील जोशी की दिसंबर 2007 में मध्यप्रदेश के देवास जिले में उसके घर के निकट गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
तीन अन्य आरोपियों रामचन्द्र कलसांगरा, संदीप डांगे और अमित को गिरफ्तार नहीं किया जा सका था और उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया था। असीमानंद जमानत पर हैं जबकि तीन अन्य न्यायिक हिरासत में हैं।
अदालत ने पाकिस्तानी महिला की याचिका खारिज की : मामले की सुनवाई कर रही आतंकवाद रोधी अदालत ने पाकिस्तानी महिला की याचिका को 'सुनवाई के योग्य' न बताते हुए बुधवार को खारिज कर दिया। याचिका में महिला ने अपने देश के प्रत्यक्षदर्शियों से सवाल-जवाब करने की अपील की थी।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की तरफ से पेश हुए वकील राजन मल्होत्रा ने बताया कि अदालत ने पाकिस्तानी महिला का आवेदन खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि यह विचार योग्य नहीं है।
एनआईए के विशेष न्यायाधीश जगदीप सिंह ने महिला एवं एनआईए के वकील की दलीलें सुनने के बाद महिला की याचिका पर फैसला 20 मार्च के लिए सुरक्षित रख लिया था।
पाकिस्तान के हफीजाबाद जिले के धींगरावली गांव निवासी एवं विस्फोट का शिकार बने मोहम्मद वकील की बेटी राहिला वकील ने 11 मार्च को अदालत का रुख किया था और अपने देश के चश्मदीदों की गवाही दर्ज किए जाने की मांग की थी।
उसने दलील दी कि उसके सह-नागरिकों को अदालत से या तो उचित समन नहीं प्राप्त हुए या अधिकारियों ने पेश होने के लिए उन्हें वीजा देने से इंकार किया।
वहीं मामले की जांच कर रही एनआईए ने दलील दी कि तीन बार उन सभी को उचित माध्यमों से तलब किया गया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई 14 मार्च को तय की थी, लेकिन स्थानीय वकीलों की हड़ताल की वजह से सुनवाई 18 मार्च तक टल गई थी।