Nimisha Priya case: यमन की सना जेल में बंद केरल के पलक्कड़ की नर्स निमिषा प्रिया की उम्मीदें एक बार फिर टूटने लगी हैं। हालांकि उनकी फांसी तो टल गई है, लेकिन कब तक यह यमन की सरकार ही जानती है। दरअसल, तलाल अब्दो मेहदी के परिजनों ने ब्लड मनी लेने से इंकार कर दिया है। कई स्तरों पर लंबे प्रयासों के बाद निमिषा की आज यानी 16 जुलाई को होने वाली फांसी टल गई थी।
निमिषा की सजा टालते वक्त कहा गया था कि उनके परिजनों को वक्त दिया जाएगा कि वे तलाल के परिवार को ब्लड मनी के लिए राजी कर लें, लेकिन तलाल के भाई के बयान के बाद ऐसा होना मुश्किल लग रहा है। तलाल के भाई ने कहा कि हमारे परिवार ने समझौते के सभी ऑफर ठुकरा दिए हैं। हम चाहते हैं कि भाई की कातिल निमिषा को फांसी की सजा मिले। यह बहुत ही गंभीर अपराध है, इसमें माफी नहीं दी जा सकती।
कैसे टली थी फांसी : निमिषा प्रिया की फांसी टलने के पीछे ग्रैंड मुफ्ती ऑफ इंडिया शेख अबूबकर अहमद मुसलियार की कोशिशों को माना जा रहा है। मुसलियार ने इस मामले में यमन के सूफी धार्मिक नेताओं और विद्वानों से संपर्क किया और उनसे मृतक महदी के परिवार से बातचीत करने का आग्रह किया था। उन्होंने यमनी विद्वानों को मानवीय पहलू को समझाने का प्रयास भी किया और फांसी को अस्थायी रूप से स्थगित करने का अनुरोध किया, जिस पर यमनी प्रशासन ने विचार किया और फांसी पर अस्थायी रूप से रोक लग गई। हालांकि तलाल के परिवार के रुख के बाद एक बार फिर निमिषा की उम्मीदें टूटती हुई नजर आ रही हैं।
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क्या है पूरा मामला : निमिषा 2008 में नर्स के रूप में काम करने के लिए केरल के पलक्कड़ से से यमन गई थीं। यमन के कानून के मुताबिक उन्हें क्लीनिक खोलने के लिए एक स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य था। इसके लिए उन्होंने तलाल अब्दो मेहदी नामक व्यक्ति को को साझेदार बनाया था।
निमिषा का आरोप था कि मेहदी ने उन्हें मानसिक, शारीरिक और वित्तीय रूप से प्रताड़ित किया, उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया और नकली विवाह प्रमाण पत्र भी बनवाए। इस सबसे तंग आकर जुलाई 2017 में निमिषा ने कथित तौर पर महदी को बेहोशी की दवा दी, जिसके ओवरडोज से उसकी मौत हो गई। निमिषा के पहली बार 2020 में मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी अंतिम अपील भी खारिज कर दी गई।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala